विटामिन, प्रोटीन, आयरन, पोटेशियम, फाइबर, फॉलिक एसिड और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर केला हर मौसम में आसानी से मिल जाता है। मगर अब हो सकता है कि आपको केला खाने को ना मिलेंगे। जी हां, आपका पसंदीदा फल अगले कुछ सालों तक दुनिया से गायब हो सकता है। ऐसा हम नहीं बल्कि वैज्ञानिकों का दावा है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इसमें एक पनामा इंफैक्शन तेजी से फैल रहा है, जिसके चलते यह फल लुप्त हो सकता है। सिर्फ केला ही नहीं बल्कि इसके साथ एवोकाडो, चॉकलेट और सोयाबीन्स जैसे फूड्स भी गायब हो सकते हैं।
क्या है पनामा डिजीज?
क्यू स्थित रॉयल बोटैनिक गार्डन्स में सीनियर कंजरवेशन एसेसर रिचर्ड एलन ने कहा कि केलों में एक तरह के फफूंद का संक्रमण फैल रहा है। इसे प्लांट बायोलॉजिस्ट ने पनामा डिजीज नाम दिया है। इस बीमारी के कारण 1950 में बिग माइक नाम की केलों की प्रजाति विलुप्त हो चुकी है। यह बीमारी पेड़ की जड़ों में हमला करती है।
रासायनिक छिड़काव साबित हो रहा बेअसर
विशेषज्ञों की बड़ी चिंता यह है कि केलों में फैली इस बीमारी पर रसायनों का छिड़काव भी बेअसर साबित हो रहा है। फंगल इनफेक्शन को आगे फैलने से रोकने के लिए बीमारी वाले केले की उपज को अलग–-थलग करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।
ये 6 फूड्स भी हो सकते हैं गायब
एवोकाडो
भारत में एवोकाडो कैलिफोर्निया से मंगवाए जाते हैं, जो हाल में सूखा पड़ने के कारण खत्म हो गए। बता दें कि एवोकाडोस को प्रति औंस लगभग 34 लीटर पानी की आवश्यकता होती है और सूखा पड़ने के कारण इसके उत्पादन में कमी आ रही है।
चॉकलेट
रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण भारत में खास पसंद किया जाने वाला फल कोकम आने वाले कुछ सालों में विलुप्ति की कगार पर पहुंच सकता है। दरअसल, काकाओ उत्तर और दक्षिण में लगभग 20 डिग्री के भीतर उगाया जाता है। ऐसे में अगर इसे पर्याप्त नमी ना मिलें तो इससे पौधे मर सकते हैं, जिससे चॉकलेट बनाने वाले कोको के उत्पादन में कमी आ सकती है।
सोयाबीन
शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर दुनिया उत्सर्जन में महत्वपूर्ण कटौती का अनुभव नहीं करती है, तो सोयाबीन की फसल 2100 तक 40% तक गिर सकती है।
गेहूं, मक्का और चावल की फसल
2016 में नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित एक अध्ययन का अनुमान है कि गेहूं, मक्का और चावल का उत्पादन खतरे में है क्योंकि लगातार बदलते मौसम का असल फसलों की पैदावार पर पड़ रहा है।
कॉफी
अध्ययन के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण कॉफी के उत्पादन पर भी खतरा बना हुआ है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जहां कॉफी की फसलें उगती हैं और एक प्रमुख प्रजाति, जो लगभग 20 से 25% कॉफी बीन उत्पादन के लिए जिम्मेदार हैं वो बढ़ते तापमान के कारण खत्म हो सकती है।