नारी डेस्क: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (IWD) हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देना और उन्हें सम्मान देना है, हालांकि आज भी बहुत से महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में महिलाओं को कार्यस्थल पर समान अवसर और सुरक्षा प्रदान करने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। ये कानून महिलाओं को भेदभाव, उत्पीड़न और असुरक्षा से बचाने के लिए बनाए गए हैं और उन्हें समान वेतन, मातृत्व लाभ, सुरक्षित कार्यस्थल जैसी सुविधाएं सुनिश्चित करते हैं। आज जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

कार्यस्थल पर महिलाओं के अधिकार
समान वेतन का अधिकार (Equal Pay for Equal Work): किसी भी महिला को पुरुषों की तुलना में कम वेतन नहीं दिया जा सकता। समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 के तहत यह अधिकार दिया गया है।
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा: किसी भी महिला को उसके कार्यस्थल पर शारीरिक, मानसिक या मौखिक उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़ेगा। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत महिलाएं अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती हैं।
मातृत्व लाभ का अधिकार: मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के तहत, गर्भवती महिलाओं को 26 सप्ताह की पेड मैटरनिटी लीव का अधिकार मिलता है। प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी महिला को नौकरी से नहीं निकाला जा सकता।
सुरक्षित और स्वस्थ कार्यस्थल का अधिकार (Right to a Safe Workplace): फैक्ट्रीज़ एक्ट, 1948और OSH Code, 2020 के तहत महिलाओं को सुरक्षित और स्वच्छ कार्यस्थल का अधिकार मिलता है।
रात में काम करने के दौरान सुरक्षा: फैक्ट्रीज़ एक्ट और अन्य श्रम कानूनों के अनुसार, कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जो महिलाएं रात में काम करती हैं, उन्हें पर्याप्त सुरक्षा और ट्रांसपोर्ट सुविधाएं मिलें।
समान अवसर और भेदभाव से मुक्ति: संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत महिलाओं को समान अवसरदिए जाते हैं। किसी भी महिला को लिंग के आधार पर नौकरी देने से मना नहीं किया जा सकता।
महिला कर्मचारियों के लिए विशेष सुविधाएं: कई सरकारी और निजी कंपनियां महिलाओं के लिए क्रेच सुविधा, फ्लेक्सिबल वर्किंग ऑवर्स और वर्क फ्रॉम होम ऑप्शन देती हैं।
महिलाओं से जुड़े प्रमुख श्रम कानून
समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 (Equal Remuneration Act, 1976):महिलाओं को पुरुषों के बराबर वेतन देने का प्रावधान।
मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 (Maternity Benefit Act, 1961): महिलाओं को पेड मैटरनिटी लीव और स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 (POSH Act, 2013): महिलाओं को कार्यस्थल पर सुरक्षा देने के लिएआंतरिक शिकायत समिति (ICC) बनाने का प्रावधान।
फैक्ट्रीज़ एक्ट, 1948 (Factories Act, 1948): महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्यस्थल, स्वच्छता और स्वास्थ्य सुविधाएं अनिवार्य करता है।
श्रम संहिता, 2020 (Labour Codes, 2020): इसमें महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम करने की अनुमति, लेकिन सुरक्षा उपायों के साथ।

यदि किसी महिला के अधिकारों का उल्लंघन हो तो क्या करें?
-HR या इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (ICC) में शिकायत दर्ज करें या फिर महिला आयोग (National Commission for Women - NCW) में संपर्क करें। आप लोकल पुलिस या लेबर कोर्ट में शिकायत कर सकती हैं।महिलाओं को अपने अधिकारों की जानकारी होना बेहद ज़रूरी है ताकि वे किसी भी प्रकार के शोषण का सामना मजबूती से कर सकें।