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2021 के अंत तक भी खत्म नहीं होगा कोरोना वायरस, WHO ने दी चेतावनी

  • Edited By Janvi Bithal,
  • Updated: 03 Mar, 2021 03:46 PM
2021 के अंत तक भी खत्म नहीं होगा कोरोना वायरस, WHO ने दी चेतावनी

कोरोना को हराने के लिए इसका वैक्सीनेशन अभियान तमाम देशों में चलाया जा रहा है। विदेशों से लेकर भारत तक इसका अभियान जोरों शोरों पर हैं लेकिन चिंता की बात यह है कि वैक्सीनेशन अभियान होते हुए भी इसके केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं और अब तो इसकी दूसरी वेव भी शुरू हो गई है जिसके बाद लोगों की चिंता बढ़ना जायज है। वैक्सीन की बात करें तो फाइजर, मॉडर्ना और ऑक्सफोर्ड द्वारा बनाई गई वैक्सीन को अभी तक कोरोना के लिए काफी प्रभावी बताया जा रहा है लेकिन हाल ही में इस पर एक नया शोध सामने आया है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह भी बताया है कि क्या इस साल कोरोना से निजात मिल जाएगी या नहीं।

क्या इस साल के अंत तक कोरोना हो जाएगा खत्म?

साल 2020 कोरोना में निकल गया है और जबसे 2021 शुरू हुआ है तबसे लोगों के मन में एक ही सवाल है कि 2021 का साल कोरोनो फ्री वाला होगा लेकिन इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यह सोचना अभी बिल्कुल भी सही नहीं है कि कोरोना महामारी से इस साल के अंत तक निजात मिल पाएगी। जी हां वरिष्ठ अधिकारी माइकल रेयान ने कहा है कि यह सब तक संभव है जब अस्पताल में भर्ती होने और मौतों के आंकड़ें कम होंगे। 

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टीके पर यह बोले डायरेक्टर 

डब्ल्यूएचओ के इमर्जेंसीज प्रोग्राम के डायरेक्टर डॉ.माइकल रेयान ने कहा कि देशों को फिलहाल वायरस को रोकने पर ध्याने देना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, 'अगर हम होशियार हैं, तो हम साल के अंत तक कोरोना के अस्पताल में भर्ती कराये जाने वाले मरीजों, मौतों और इस महामारी से जुड़ी त्रासदी को खत्म कर सकते हैं।' वहीं टीका से वायरस को विस्फोटक तरीके से फैलने से रोकने में मदद मिलेगी। डायरेक्टर डॉ.माइकल रेयान ने चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि एक फैल चुकी महामारी में कुछ भी गारंटी नहीं होती है। फिलहाल वायरस बहुत हद तक नियंत्रण में है।

वहीं वैक्सीन को लेकर एक और शोध सामने आया है

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मोटे लोगों पर कम प्रभावी वैक्सीन 

नए शोध के अनुसार फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन मोटे लोगों के लिए कम असरदार हो सकती है। दरअसल  इटली के शोधकर्ताओं को एक ग्रुप से यह पता चला है कि जिन मोटे स्वास्थ्यकर्मीयों को फाइजर वैक्सीन की डोज दी गई थी उनमें दूसरे स्वस्थ हेल्थकेयर वर्कर्स की तुलना में उतने एंटीबॉडी विकसित नहीं हो रहे थे जितने होने चाहिए। यानि मोटे लोगों की बॉडी में एंटीबॉडी का उत्पादन करना इतना सक्षम नहीं है। 

दूसरी खुराक लेने के बाद सामने आया यह रिजल्ट 

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस शोध में यह भी पाया गयाकि जब मोटे हेल्थकेयर वर्कर्स को वैक्सीनव की दूसरी खुराक भी दी गई तो भी एंटीबॉडी बनाने की मात्रा केवल आधी ही थी। ऐसे में शोधकर्ता ऐसा मान रहे हैं कि फाइजर वैक्सीन मोटे लोगों के लिए कम असरदार हो सकती है हालांकि इस पर अभी रिसर्च की जा रही है और यह शोध अभी तक पूरी नहीं हुआ है। 

पहले भी सामने आ चुके कईं शोध 

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मोटे लोगों को लेकर कोरोना या उशकी वैक्सीन का यह कोई पहला शोध नहीं है बल्कि इससे पहले भी मोटापे से ग्रस्त लोगों पर शोध किए जा चुके हैं जिनमें यह बात सामने आई थी कि मोटापा ही वो एक कारण है जो वायरस से मरने का जोखिम 50 फीसदी तक बढ़ा सकता है। साथ ही इससे अस्पताल में भर्ती होने का खतरा भी 113 फीसदी तक बढ़ जाता है। 

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