12 फरवरी यानि कल से गुप्त नवरात्रि का पर्व शुरु हो रहा है। नौ शक्तियों से मिलन को "नवरात्रि" कहा जाता है जो देवी पुराण के अनुसार 1 साल में चार बार आती है लेकिन बड़े स्तर पर दो नवरात्रि (शारदीय और चैत्र) ही मनाई जाती है और दो गुप्त नवरात्रि (माघ और आषाढ़) में मां दुर्गा की 10 महाविघाओं की साधना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, गुप्त नवरात्र की पूजा से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है, जो इस बार कुंभ संक्रांति के साथ ही शुरु हो जाएगी। चलिए आपको बताते हैं साधना और व्रत के इस उत्सव को गुप्त नवरात्रि क्यों कहा जाता है और शुभ मुहूर्त व पूजा विधि...
गुप्त नवरात्रि 2021 तिथिः
गुप्त नवरात्रि आरंभ - साल 2021, शुक्रवार 12 फरवरी
गुप्त नवरात्रि समाप्ति - साल 2021, 21 फरवरी रविवार
कलश स्थापना मुहूर्त - सुबह 8:34 से 9:59 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:13 से 12:58 बजे तक
इस बार माघ नवरात्रि दस दिनों की होगी। क्योंकि 17 व 18 फरवरी को दोनों दिन षष्टी तिथि रहेगी।
प्रत्यक्ष और गुप्त नवरात्र में फर्क
शारदीय-चैत्र को प्रत्यक्ष और माघ-आषाढ़ को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। प्रत्यक्ष नवरात्रि में गृहस्थ जीवन वाले पूजा करते हैं जबकि गुप्त नवरात्र में साधक सन्यासी, तांत्रिक-मांत्रिक देवी की उपासना करते हैं। हालांकि चारों नवरात्र में देवी की ही पूजा अर्चना की जाती है। मगर, गुप्त नवरात्र में देवी की 10 महाविधाएं की पूजा होती है जबकि प्रत्यक्ष नवरात्रि में देवी के 9 रूपों की अराधना की जाती है। इस दौरान अखंड जोत प्रज्वलित करके सुबह एवं संध्या समय में देवी की पूजा-अर्चना की जाती है।
इसलिए कहते हैं गुप्त नवरात्र?
चूंकि गुप्त नवरात्रि सिद्धि और तंत्र साधना के लिए होता है इसलिए उस नाम से पुकारा जाता है। प्राचीन समय में गुप्त नवरात्रि ज्यादा प्रचलित थी क्योंकि उस समय लोग इन बालों पर काफी विश्वास करते थे लेकिन बदलते समय के साथ चैत्र और शारदीय नवरात्रि प्रचलित हो गई।
10 दिन मनेगी माघ गुप्त नवरात्री
12 फरवरी - प्रतिपदा मां शैलपुत्री, घटस्थापना।
13 फरवरी - मां ब्रह्मचारिणी देवी पूजा।
14 फरवरी - मां चंद्रघंटा देवी पूजा।
15 फरवरी - मां कुष्मांडा देवी पूजा।
16 फरवरी तिथि - मां स्कंदमाता देवी पूजा।
17 एवं 18 फरवरी षष्ठी तिथि - मां कात्यानी देवी पूजा।
19 फरवरी सप्तमी तिथि - मां कालरात्रि देवी पूजा।
20 फरवरी अष्टमी तिथि - मां महागौरी, दुर्गा अष्टमी।
21 फरवरी नवमी - मां सिद्धिदात्री, व्रत पारण।
गुप्त नवरात्र पर शुभ संयोग
चारों नवरात्रि की खासियत यह है कि इस दौरान ऋतु बदलती है। ज्योतिषों के अनुसार, इस बार गुप्त नवरात्रि पर सूर्य के राशि परिवर्तन, गुरु और शुक्र तारा साथ उदय हो रहे है। इसी नवरात्र की पंचमी तिथि को देवी सरस्वती का प्राकट्योत्सव बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाएगा।
गुप्त नवरात्रि की पौराणिक कथा
धार्मिक कथाओं के अनुसार, एक महिला एक बार श्रृंगी ऋषि के पास अपने कष्टों लेकर गई। महिला ने हाथ जोड़कर ऋषि से अपने पति को दुर्व्यसनों से निकालने का कोई उपाय पूछा। इस कारण वह भी कोई धार्मिक कार्य, व्रत या अनुष्ठान नहीं कर पा रही। तब ऋषि ने महिला को गुप्त नवरात्र में साधना करने के लिए कहा और महिला को विधि बताते हुए कहा कि इससे तुम्हारा सन्मार्ग की तरफ बढ़ेगा और तुम्हारा पारिवारिक जीवन भी खुशियों से भर जाएगा।