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क्या Breastfeeding से स्तनों में आ जाता है ढीलापन? देसी नुस्खों से करें इलाज

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 21 Aug, 2021 11:00 AM
क्या Breastfeeding से स्तनों में आ जाता है ढीलापन? देसी नुस्खों से करें इलाज

ब्रेस्ट सैगिंग यानि स्तनों में ढीलापन, गर्भावस्था के बाद होने वाला एक नेचुरल बदलाव है, जिसे 'Ptosis' भी कहा जाता है। यह कोई चिकित्सिक परिवर्तन हीं बल्कि कॉस्मेटिक होता है। कुछ महिलाओं को लगता है कि स्तनपान के कारण ब्रेस्ट में ढीलापन आ गया है। मगर, क्या सचमुच ऐसा होता है। चलिए आपको बताते हैं प्रेगनेंसी के बाद ब्रेस्ट में ढीलापन होने के कारण और इससे निपटने के टिप्स

क्या स्तनपान करवाने से ढीले होते है ब्रेस्ट?

नई मांओं को लगता है ब्रेस्टफीडिंग से ब्रेस्ट में ढीलापन आ जाएगा जबकि ऐसा नहीं है। प्रेगनेंसी के दौरान स्तनों का आकार बढ़ जरूर जाता है लेकिन स्तनपान से इनमें कोई बदलाव नहीं आता। ब्रेस्टफीडिंग के बाद यह खुद ब खुद शेप में आ जाते हैं लेकिन इसके कारण ब्रेस्ट ढीले नहीं होते।

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फिर प्रेग्नेंसी या ब्रेस्टफीडिंग के बाद ब्रेस्ट सैगिंग होने का क्या कारण है?

दरअसल, स्तन की मांसपेशियां कूपर लिगामेंट्स से जुड़ी होती हैं, जो कोलेजन और इलास्टिन की मदद से उनमें कसाव रखते हैं। मगर, प्रेगनेंसी में ज्यादा तनाव, कोलेजन व इलास्टिन का स्तर कम होने के कारण कूपर लिगामेंट्स खिचने लगते हैं और इनमें ढीलापन आ जाता है, जिसके परिणामस्वरूप ब्रेस्ट में ढीलापन आ सकती है। इसका कारण गर्भावस्था, आनुवंशिकी और अन्य कारक हो सकते हैं जैसे...

. बढ़ती उम्र के कारण ये लिगामेंट्स टूट जाते हैं
. गर्भावस्था में दूध ग्रंथियां बढ़ती हैं और स्तनों में ढीलापन आ जाता है।
. पोस्टपार्टम पीरियड के दौरान स्तन आकार में बढ़ जाते हैं।
. लगातार स्तनों में मिल्क भरने के कारण भी त्वचा में खिंचाव आता है।
. सूजन के कारण भी स्तन का आकार बदलने की संभावना होती है।
. इसके अलावा मल्टीपल प्रेगनेंसी, बड़े स्तन, वजन घटाना, हाई बॉडी मास इंडेक्स और धूम्रपान भी इसका कारण हो सकते हैं।

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ब्रेस्ट का ढीलापन कम करने के टिप्स

वजन कंट्रोल करे

गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ जाता है लेकिन ज्यादा वजन न बढ़ाएं। प्रेगनेंसी में अतिरिक्त वजन स्तनों में अधिक वसा ऊतक जोड़ सकता है।

स्तनपान की सही पोजिशन

स्तनपान करते समय आगे की ओर झुकना नहीं चाहिए। एहमेशा एक नर्सिंग तकिया का यूज करते हुए ब्रेस्टफीडिंग करवाएं, जो बच्चे को स्तन की ओर बढ़ा सके। अपने कंधों, पीठ और रीढ़ को सहारा देकर सीधी स्थिति में रहें। बहुत सी माताओं को लेटकर दूध पिलाना सही लगता है जबकि यह गलत है।

सपोर्टिव ब्रा पहनें

सही फिटिंग और सपोर्टिव ब्रा पहनें। महिलाएं ऐसी ब्रा चुनें जो नॉन-इलास्टिक व चौड़ी पट्टी वाली हो। साथ ही ब्रा कप आरामदायक और पूरे ब्रेस्ट टिश्यू को में फिट होने वाले हो। ब्रा निप्पल लाइन, कोहनी व कंधे के बीच रहनी चाहिए जबकि ब्रा का पिछला भाग कंधे के ब्लेड के बीच रहना चाहिए। प्लास्टिक या मेटल अंडरवायर वाली ब्रा न चुनें।

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स्तनों को मॉइस्चराइज़ करें

गर्भावस्था के दौरान त्वचा शुष्क हो सकती है। ऐसे में स्तनों पर हल्का मॉइस्चराइजर लगाएं, जो उन्हें हाइड्रेट व मजबूत बनाए रखेगा। इसके लिए आप नारियल या जैतून तेल भी मसाज कर सकती हैं।

गर्म और ठंडे शॉवर लें/मालिश करें

गर्म पानी ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है जबकि ठंडा पानी त्वचा की रंगत में सुधार करता है। इसलिए गुनगुने पानी से शॉवर लें और स्तनों की मालिश जरूर करें लेकिन ध्यान रखें कि ब्रेस्टफीडिंग से पहले ना नहाएं क्योंकि इससे ब्लड सर्कुलेशन और मिल्क प्रोसेस धीमी हो जाता है।

नियमित व्यायाम करें

आप डिलीवरी के 6 हफ्ते बाद एक्सरसाइज शुरू कर सकती हैं। स्ट्रेंथिंग और टोनिंग एक्सरसाइज स्तनों को ढीला होने से रोकती है। मगर, ध्यान रखें कि व्यायाम करते समय स्पोर्ट्स ब्रा पहनें। 

स्वस्थ आहार लें

अपनी डाइट में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और स्वस्थ वसा से भरपूर आहार लें। इसके साथ ही विटामिन ई (पत्तेदार साग, मेवा और बीज) और विटामिन बी (अंडे, मुर्गी और मछली) से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं।

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