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Rakhi Special: कच्चे धागे का अटूट बंधन है भाई-बहन का रिश्ता

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 26 Aug, 2018 03:46 PM
Rakhi Special: कच्चे धागे का अटूट बंधन है भाई-बहन का रिश्ता

राखी भाई-बहन के पवित्र प्रेम और रक्षा की डोरी है। रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार का वह अमूल्य बंधन है, जिसका बदला धन देकर भी नहीं चुकाया जा सकता। इस दिन जहां बहन अपने भाई को राखी बांधकर उसकी सलामती की दुआ मांगती है। वहीं भाई जीवनभर अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है। लोग कितने भी व्यस्त हो जाएं, दुनिया कितनी भी बदल जाए पर राखी के त्यौहार का इंतजार बहन-भाई के रिश्ते को नई ताजगी से हरदम भरे रहता है।
 

यादों के पल होते हैं ताजा
जीवन के अनेक उतार-चढ़ाव से गुजरते हुए यह रिश्ता मन में एक अहसास की तरह जीवित रहता है। बचपन से लेकर युवा होने तक की यादें मानो मन के किसी कोने में हमेशा संजोई रहती हैं और रक्षाबंधन के दिन अचानक ही ताजा हो उठती हैं। फुर्सत मिलते ही भाई-बहन यादों की शीतल बयारों में खो जाते हैं। रेशमी और केसरिया धागों से चंदन बयार उठकर एक ऐसी सोंधी-सोंधी खुशबू से मन ही नहीं आंखों को भी भिगो देती है।

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प्यार और जिम्मेदारी की भावना
नन्हा-सा भाई जब पहली बार अपनी छोटी-सी बहन को देखता है तो उसी पल उसमें थोड़ी-सी जिम्मेदारी ही नहीं बल्कि बहन के प्रति प्यार, खुशी और थोड़ी-सी जलन भी आ जाती है। जबकि नन्ही बहन छोटे भाई को देखकर जिम्मेदारियों का भाव मन में लिए तथा उसे प्यार से सहेजने के लिए अचानक ही बड़ी हो जाती है। हालांकि बड़े भाई-बहन अपने छोटे भाई या बहन को लेकर मन में स्वयं को असुरक्षित महसूस करते हैं। भाई-बहन के बीच एक स्वस्थ रिश्ते की बुनियाद रखने की जिम्मेदारी माता-पिता की होती है।
 

बचपन की नटखट शैतानियां
अपने बचपन की शरारतें याद है न आपको। आप भाई-बहन छोटी-छोटी बातों पर कैसे लड़ पड़ते थे। भाई का आपकी गुड़िया छिपाना या तोड़ देना, बहन का उसका कॉपी-पेंसिल छिपाना या भाई का चोटी खींचना जैसी नटखट शरारतें ही बाद में यादें बन जाती है। भाई-बहन की बचपन की यही तीखी नोक-झोंक कल उनके ठहाकों में बदलेगी।

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उनमें जगाएं प्यार
बड़े भाई को जहां छोटी बहन के प्रति संवेदनशील बनने की शिक्षा दें। उन्हें सिखाएं कि उनकी छोटी-सी बहन उसके साथ खेलेगी, पढ़ेगी और उसका ध्यान रखते हुए उसे ढेर सारी खुशियां भी देगी क्योंकि उसके अकेले बचपन की साथी है उसकी यह छोटी बहन। बड़ी बहन को भी यह सब बताएं और इसे कहें कि अब इसे अपनी मां की मदद तथा भाई की देखभाल करनी है। उसे बताएं कि छोटा भाई आने से उसके प्रति न तो प्यार में कमी आएगी और न ही उनका व्यवहार बदलेगा। यकीन मानें कि बेटियां मानसिक रूप से काफी मजबूत होती हैं और तुरंत अपनी जिम्मेदारी को समझकर उसे निभाने में लग जाती हैं।
 

बरकरार है रिश्तों की गरिमा
मार्डन समय की भेंट चढ़ते जा रहे त्यौहारों से भले ही रक्षाबंधन अछूता नहीम रहा लेकिन फिर भी रिश्तों की गर्माहट आज भी दिलों में कहीं जिंदा है। आज भी भाई का मन अपनी बहन के लिए पिघलता है और बहन ससुराल में अपने भाई से मिलने के लिए तरसती है। भले ही एहसास जताने के तरीके बदल गए हों परंतु दिलों में भावनाएं आज भी वही पुरानी हैं। भले ही बिजी शेड्यूल के चलते आज बहनें इंटरनेट पर राखी या मोबाइल पर कोई इमोशनल मैसेज भेज दें लेकिन रिश्ते का वह प्यार और चिंता तो सामने आकर ही खत्म होती है।
 

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