भूत की कहानियां सुनना और डरावनी जगहों पर जाना सबके बस की बात भले ही न हो, लेकिन मज़ा सबको आता है। अकसर दोस्तों के साथ भानगढ़ का क़िला जाने का प्लान बनता है टूट जाता है। मगर आप जानते हैं इसके अलावा भी कई ऐसी जगहें हैं जहां जाने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए। ये जगह डर के लिए फ़ेमस हैं। हम सबको नहीं कह रहे, लेकिन जिन्हें डरावनी जगहों पर जाने का शौक़ है, उनको इन जगहों के बारे में ज़रूर जानना चाहिए. ...
मॉरगन हाउस, बंगाल टूरिज़्म, कलिम्पोंग
टूरिस्ट प्लेस के रूप में खोला गया मॉरगन हाउस एक हॉन्टेड प्लेस है। आपको बता दें कि 1930 में मॉरगन हाउस, जॉर्ज मॉर्गन का निजी निवास स्थान था। ये कलिम्पोंग में स्थित है। मगर लेडी मॉर्गन की असमय हुई मौत के बाद मॉर्गन परिवार ने इस घर को खाली कर दिया था। इसी के बाद से लेडी मॉरगन की आत्मा यहां भटकती है और यहां आने वाले मेहमानों ने उनकी ऊंची हील्स की चप्पल की आवाज़ें भी सुनी हैं, लेकिन देखा कभी नहीं है।
होटल लेक व्यू, ऊटी
अगर आपको डर का सामना करना है, तो ऊटी का होटल लेक व्यू आपका इंतज़ार कर रहा है। हरी-भरी रोलिंग पहाड़ियों के बीच स्थित ये अपनी असामान्य गतिविधियों के लिए जाना जाता है। इनमें से एक तो ये है कि पूर्णिमा की रात को यहां एक कमरे की बेड शीट रहस्यमयी ढंग से उड़ी जिसे देखकर यहां आए सभी मेहमान हिल गए। इतना ही नहीं, स्थानीय लोगों का मानना है कि ये संपत्ति डरावनी और ख़तरनाक है। यहां पर सूर्यास्त के बाद न जाना ही ठीक है।
वेलकम होटल द सेवॉय, मसूरी
मसूरी का वेलकम होटल, द सेवॉय भारत के सबसे डरावने होटल्स में से एक है. माना जाता है कि 19010 में लेडी गार्नेट ऑर्मे की कुछ अजीब परिस्थितियों में यहां मौत हो गई थी। इसके कुछ साल बाद ही लेडी गार्नेट का इलाज करने वाले डॉक्टर की भी मौत हो गई। तब से, इस होटल में डरावनी गतिविधियों को महसूस किया जा रहा है। यहां तक कि यहां रुकने वाले मेहमानों ने भी असामान्य गतिविधियों की शिकायत की है।
द ताजमहल पैलेस, मुंबई
भारत के सबसे प्रसिद्ध होटलों में से एक, मुंबई का द ताज महल पैलेस भव्यता के साथ-साथ अपनी डरावनी गतिविधियों के लिए भी प्रसिद्ध है। इसको बनाने वालेंग्लैंड चले गए, लेकिन जब वापस भारत आए तो उन्होंने देखा कि होटल की दिशा सही नहीं है। इसी बात से आहत होकर उन्होंने होटल में ही आत्महत्या कर ली। तब से लेकर आज तक ये माना जाता है कि होटल में चेम्बर की आत्मा पुराने विंग में आज भी भटकती है।