कल सावन का दूसरा सोमवार है और इसी दिन हरियाली और सोमवती अमावस्या का भी विशेष संयोग बन रहा है। 57 साल के बाद ये अद्भुत संयोग देखने को मिल रहा है। इससे पहले ये सास 1966 की 18 जुलाई को सोमवाती अमावस्या थी और अब सीधा 57 साल बाद ये पावन संयोग बना है। सूर्य, चंद्र, बुध, राहु, केतु उस समय जिन राशियों में थे, इस बार भी उन्हीं राशियों में रहेंगे। इसके अलावा इस दिन स्नान-दान के साथ शिव-शक्ति की संयुक्त साधना बहुत ही लाभकारी साबित होगी। इस मौके पर पितकों को पिंडदान करने से शांति प्राप्त होगी।
हरियाली अमावस्या पर कुछ परंपराओं का अपना महत्व है, हालांकि पौराणिक तथा शास्त्रीय मान्यता के आधार पर देखें तो अमावस्या पर स्नान की परंपरा है, वहीं पितरों के तर्पण, पिंडदान तथा अन्य पूजा के साथ गो ग्रास भिक्षुक को अन्नदान आदि करने का भी विधान है। ये ही नहीं अमावस्या की मध्य रात्रि में भगवान शिव और शक्ति की एक साथ पूजा करने से जीवन में सफलता मिलती है।
पांच ग्रह रहेंगे एक राशि में
ज्योतिषियों के अनुसार ग्रह गोचर की गणना के अनुसार चलें तो सूर्य, चंद,बुध, राहू, केतु ये पांच ग्रह 1966 में (श्रावण अधिकमास) में उन्हीं राशियों में थे जो क्रामनुसार सूर्य कर्क, राशि में, चंद्र मिथुन राशि में बुध कर्क राशि में और राहु-केतु क्रमश: मेष और तुला राशि में थे। इस बार इन पांच ग्रहों की स्थिति इन्हीं राशियों में गोचर करेंगे।
हरियाली अमावस्या पर दान स्नान का मुहूर्त
इस साल हरियाली अमावस्या सोमवार, 17 जुलाई को पड़ रही है। इस दिन दान-स्नान का पहला शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 34 मिनट से सुबह 07 बजकर 17 मिनट तक है। इसके बाद दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 09 बजकर 01 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।
हरियाली अमावस्या के नियम
हरियाली अमावस्या पर शिवलिंग पर बेलपत्र जरूर चढ़ाएं। कोई न कोई पौधा अवश्य लगाए। अन्न और जल का दान करें। शिव मंत्र का यथा शक्ति जप करें। इस दिन पशुओं को चारा जरूर खिलाना चाहिए।