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Autism Awareness: प्रेगनेंसी में मां की गलती बच्चे पर पड़ सकती है भारी

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 02 Apr, 2020 03:43 PM
Autism Awareness: प्रेगनेंसी में मां की गलती बच्चे पर पड़ सकती है भारी

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को अपना खास ख्याल रखना होता है क्योंकि इस दौरान की गई आपकी एक गलती बच्चे पर भारी पड़ सकती है। उन्हीं में से एक समस्या है ऑटिज्म  की। अगर प्रेगनेंसी के दौरान कुछ बातों का ख्याल ना रखा जाए तो जन्म के बाद बच्चा ऑटिज्म का शिकार हो सकता है।

अक्सर लोगों को लगता है कि ऑटिज्म बच्चे मंदबुद्धि होते हैं जबकि ऐसा नहीं है। यह एक दिमागी विकार है, जिसके कई कारण हो सकते हैं। चलिए आपको बताते हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान आपकी किन गलतियों के कारण बच्चा इस बीमारी का शिकार हो सकता है।

सबसे पहले जानते हैं क्या है यह बीमारी

यह ऐसा न्‍यूरोलॉजिकल डिस्‍ऑर्डर है, जिसमें बच्चों को रोजाना की छोटी-मोटी बातें समझने में भी मुश्किल होती है। ऐसे बच्चों को बोलने व समझने में भी काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

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प्रेगनेंसी में की गई ये गलतियां कर सकती हैं बच्चे को बीमार

. प्रेगनेंसी के दौरान अपनी डाइट पर खास ध्यान दें क्योंकि गलत डाइट से शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जो भ्रूण के विकास में भी बाधा बनता है। साथ ही इससे जन्म के बाद बच्चा ऑटिज्म का शिकार हो सकता है।

. गर्भावस्था के दौरान अधिक स्ट्रेस लेने से भी बचें। इसके लिए आप डाइट के साथ-साथ योग व हल्की फुल्की एक्सरसाइज का सहारा भी ले सकती हैं। साथ ही तनाव महसूस होने पर अपनी पसंद की किताब पढ़ें या म्यूजिक सुनें।

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ये भी है कारण

1. प्रेगनेंसी में थायराइड

प्रेग्नेंसी में थायराइड से ग्रस्त महिलाओं के बच्चों को भी इसका खतरा अधिक होता है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह से सही डाइट लें और थायराइड को कंट्रोल में रखें।

2. PCOS भी है कारण

PCOS यानि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से पीड़ित महिलाओं के पैदा होने वाले बच्चों में ऑटिज्म विकसित होने की अधिक आशंका रहती है।

3. प्रेगनेंसी में बुखार आना

अगर प्रेगनेंसी के पहले 3 महीनें में आपको तेज बुखार आता है तो इससे आपके बच्चे पर बुरा असर पड़ता है। इससे बच्चे का शारीरिक विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता है।

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जनेटिक या प्री-मैच्चोर बच्चे को भी खतरा

अगर परिवार में पहले किसी को यह बीमारी है तो उससे यह आगे की पीढ़ी को भी हो सकती है। साथ ही अगर बच्चे का जन्म समय से पहले यानि 26 वें हफ्ते या उससे पहले हुआ है तो ऐसे बच्चे में भी इस बीमारी के चांसेस ज्यादा होते हैं।

अब जानते हैं कैसे रखें बचाव...

. डाइट में प्रोटीन, विटामिन व कैल्शियम युक्त फूड्स अधिक लें। साथ ही ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं।
. तनाव लेने से बचें और इसके लिए व्यायाम, योग और हल्की-फुल्की एक्सरसाइज जरूर करें।
. कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
. शराब, सिगरेट, धूम्रपान से दूर रहें। उन लोगों से भी दूर रहें जो स्मोकिंग करते हैं क्योंकि इसका धुआं भी खतरनाक है।
. पीसीओएस, थायराइड, सीलिएक (Celiac) या पीकेयू (Phenylketonuria) रोग है तो डॉक्टर को जरूर बताएं।
.गर्भवती होने से पहले जर्मन खसरा (German Measles) या रुबेला (Rubella) का टीका जरूर लगवाएं क्योंकि यह आटिज्म को रोक सकता है।

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इसके अलावा समय-समय पर जांच करवाती रहें, ताकि को आपकी सिचुएशन का पता चल सके। साथ ही डॉक्टरों द्वारा बताए गए सभी निर्देशों का भी अच्छी तरह पालन करें।

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