‘हाउ टू मर्डर योर हसबैंड’ शीर्षक वाला एक लेख लिखने वाली उपन्यासकार नैंसी क्राम्पटन ब्रॉफी को पति की हत्या के मामले में सोमवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। नैंसी क्राम्पटन ब्रॉफी (71) को सात सप्ताह तक चली सुनवाई के बाद 25 मई को दोषी करार दिया गया था।
खबरों के मुताबिक नैंसी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। 25 साल जेल में बिताने के बाद उन्हें पैरोल मिल सकती है। यानी कि कम से कम 96 साल की उम्र तक वह जेल की चारदीवारी के भीतर ही कैद रहेंगी। अभियोजकों ने कहा कि क्राम्पटन ब्रॉफी ने 63 वर्षीय डैन ब्रॉफी को ‘ओरेगन कलिनरी इंस्टीट्यूट’ के अंदर गोली मार दी थी, क्योंकि वह डैन के जीवन बीमा से मिलने वाले पैसे चाहती थीं।
यह इंस्टीट्यूट अब बंद हो चुका है, डैन 2018 में वहां काम करते थे। डैन की मौत के बाद नैंसी को बीमे की रकम के रूप में लगभग 12 करोड़ रुपये मिलने वाले थे। अभियोजन पक्ष ने जूरी को बताया कि जिस वक्त डैन की हत्या हुई उस वक्त दंपती आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे थे।
दलील दी गई थी कि क्राम्पटन ब्रॉफी ने ऑनलाइन मंचों से ‘घोस्ट गन’ किट के बारे में जानकारी हासिल की, उसे खरीदी और फिर बाद में एक ‘गन शो’ में ग्लॉक 17 हैंडगन भी खरीदी। हालांकि, क्राम्पटन ब्रॉफी और उनके वकीलों ने इस तथ्य को खारिज कर दिया और कहा कि उन्होंने उपन्यास लिखने की तैयारी के लिए बंदूक खरीदी थी।