एक समय था जब समाज में महिलाओं को पुरूषों के बराबर का सम्मान नहीं दिया जाता था। यहां तक कानून भी उन्हें बराबर का अधिकार और मान्यता नहीं देता था। महिलाओं के साथ ऐसा बर्ताव सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी होता रहा है। जी हां, हम बात कर रहे हैं अमेरिका की जहां कहा जाता था कि महिलाओं की जगह पुरूषों के पीछे है। लेकिन जल्द ही लोगों की इस सोच को जस्टिस रूथ गिन्सबर्ग ने बदल दिया। जस्टिस रूथ गिन्सबर्ग ने अमेरिका के हजारों साल पुराने कानून में बदलाव कर महिलाओं के आने वाले समय को बदल दिया।
रूथ के जीवन पर मां का गहरा प्रभाव पड़ा
जस्टिस रूथ बेडर गिंसबर्ग का जन्म 15 मार्च 1933 को न्यूयार्क के एक मिडल क्लास परिवार में हुआ था। रूथ बेडर की मां ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी। लेकिन उनकी मां हमेशा रूथ की पढ़ाई को लेकर चिंतित रहती थी और उन्हें स्वतंत्र होने की शिक्षा देती थी। रूथ ने साल 1957 में Harvard Law School से कानून की पढ़ाई कर डिग्री हासिल की। रूथ की क्लास में 500 पुरूषों में सिर्फ 9 लड़कियां थी। रूथ ने मन लगाकर पढ़ाई की और प्रतिष्ठित कानून पत्रिका, 'हार्वर्ड लाॅ रिव्यू' की पहली महिला सदस्य बनी। रूथ पर उनकी मां का काफी गहरा प्रभाव पड़ा था। रूथ जैसे-जैसे बड़ी होती गई उन्होंने देखा कि अमेरिका में लोगों के साथ किस तरह लिंग को लेकर भेदभाव किया जाता है। जो महिलाओं को पीछे की तरफ धकेल रहा है।
महिला होने के कारण रूथ को नहीं मिली कहीं नौकरी
इतने पढ़ने-लिखने के बाद भी रूथ को न्यूयाॅर्क में कहीं नौकरी नहीं मिली। वो इसलिए क्योंकि वह एक महिला थी। साल 1963 में रूथ ने Rutgers University Law School में लाॅ प्रोफेसर के रूप में पढ़ाना शुरू किया। इस दौरान रूथ ने बच्चों के कहने पर 'महिला और कानून' को लेकर कोर्स शुरू किया। तभी महिलाओं के अधिकार को लेकर American Civil Liberties Union एक परियोजना शूरू कर रहे थे, जिसके लिए उन्होंने रूथ को वकील के रूप में चुना। जिसके बाद रूथ ने American Civil Liberties Union के वकील के तौर पर 300 से ज्यादा लिंग को लेकर हो रहे भेदभाव के मामले लड़े। जिसमें से कुछ मामले सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे।
अमेरिका की दूसरी महिला न्यायाधीश थी रूथ
रूथ बेडर गिन्सबर्ग को कोलंबिया जिले के लिए साल 1980 में राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने अमेरिकी अपील न्यायालय में नियुक्त किया। जहां रूथ ने 13 साल अपनी सेवाएं दी। जिसके बाद राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने साल 1993 में रूथ को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का न्यायधीश नियुक्त किया। इस तरह रूथ अमेरिका की दूसरी महिला न्यायाधीश बन गई।
वकील से हुई थी रूथ की शादी
रूथ बेडर गिन्सबर्ग की शादी मार्टीन डी से हुई थी। जो खुद भी एक वकील रह चुके हैं। रूथ के दो बच्चे एक बेटा और एक बेटी हैं। गिन्सबर्ग कोलंबिया लॉ स्कूल में उनकी बेटी जेन सी प्रोफेसर हैं। वहीं शिकागो में उनका बेटा जेम्स स्टीवन जिन्सबर्ग एक शास्त्रीय संगीत रिकॉर्डिंग कंपनी सेडिल रिकॉर्ड्स का संस्थापक और अध्यक्ष है।
पांच बार कैंसर से लड़ी थी जंग
रूथ मेटास्टेटिक अग्नाशय कैंसर से पीड़ित थी। साल 1999 में उन्हें कैंसर के बारे में पता चला। रूथ ने पांच बार कैंसर से जंग लड़ी और जीतीं भी। लेकिन आखिर में 87 साल की उम्र में वह कैंसर से जंग हार गई और इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गई। उन्होंने वाशिंगटन स्थित अपने घर में आखिरी सांस ली। रूथ बेडर गिंसबर्ग का निधन अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने से छह हफ्ते पहले हुआ। वह राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामित थी। आज भी महिलाओं के अधिकारों के लिए किए गए उनके काम की तारीफ होती है।