आज बेटियों के प्रति समाज की सोच बदल रही है लेकिन एक समय ऐसा था कि अगर किसी के घर बेटी हो जाती थी तो उसके घर और जिंदगी में खुशीयां नहीं बल्कि दुखों का पहाड़ टूट जाता था। बेटियों को बोझ समझा जाता था। लोगों को लगता था कि बेटी हो गई है तो अब इसका खर्चा कैसा होगा? शादी कैसे होगी और इसी कारण से कईं जगहों पर बेटी होते ही उसे मौत की नींद सुला दिया जाता था। राजस्थान में भी आज से कईं साल पहले ऐसा ही माहौल था जब बेटी के जन्म लेते ही उन्हें मार दिया जाता था और उन्हें गाड़ दिया जाता था।
आज हम आपको जिस महिला की कहानी बताने जा रहे हैं उनके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। हम बात कर रहे हैं गुलाबो सपेरा की जो आज देश विदेशों तक फेमस है लेकिन गुलाबो के जन्म के साथ ही उनकी परेशानियां शुरू हो गई थी और वो भी इसलिए क्योंकि वह एक लड़की थी।
जन्म के बाद जमीन में गाड़ दिया गया
आज पद्म सम्मान से सम्मानित गुलाबो का नाम हर किसी की जुबां पर हैं लेकिन जब उनका जब जन्म हुआ था तो उन्हें मौत के हवाले छोड़ने के लिए जमीन में गाड़ दिया गया। लेकिन उनकी मां ने उन्हें मरने नहीं दिया और बस गुलाबो को ढूंढने के लिए निकल पड़ी। मां और मौसी ने कुछ भी करके उन्हें ढूंढा और करीब 5 घंटे बाद गुलाबो को किसी भी तरह से जमीन निकाला गया और इस तरह उन्हें बचाया गया।
गरीबी में बीता बचपन
गुलाबो का बचपन भी आसान नहीं था। पहले जन्म के बाद ही मौत का मुंह देखना और फिर गरीबी में बचपन गुजारना। उन्हें जिंदगी में काफी मुश्किलें भी देखनी पड़ी लेकिन कहते हैं न कि जो इन मुसीबतों से लड़ जाते हैं वह ही सफलता पाते हैं। और गुलाबो के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ। जन्म के बाद उन्होंने खुद जो चीज फेस की उन पर उन्होंने रोक लगाई और कईं बच्चियों की जिंदगीयां भी बचाई। उनके इस एक कदम से ही गांव वाले काफी प्रभावित हुए।
बड़े होकर सीखा कालबेलिया डांस
गरीबी और आर्थिक तंगी में जिंदगी जीने के बाद भी गुलाबो ने हार नहीं मानी। गुलाबो ने बड़ी होकर राजस्थान का लोकनृत्य कालबेलिया डांस सीखा और इसी में आगे बढ़ी। हालांकि जब गुलाबो यह नृत्य करती थी तो लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन फिर धीरे-धीरे लोगों को पता लगने लगा कि यह नृत्य क्या है। इसी से उन्हें पहचान मिलने लगी और वह आगे शो करने लगीं।
जब पिता के साथ काम पर जाती थी गुलाबो
गुलाबो के पिता भी सपेरे थे और वह अकसर अपने पिता के साथ काम पर जाया करती थी। गुलाबो के पिता जब बीन बजाते तब गुलाबो सांपों की तरह नाचती थी। आपको बता दें कि कालबेलिया नृत्य सिर्फ महिलाएं ही करती हैं। गुलाबो का यह डांस राजस्थान में तो काफी प्रचलित हो रहा था वहीं साथ ही उन्होंने इसे देश दुनिया तक भी पहुंचाया। जिसके बाद तमाम दुनिया के लोग इसे जानने लगे और पसंद भी करने लगे।
धनवंतरी है असली नाम
बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं कि गुलाबो का असली नाम धनवंतरी है लेकिन गुलाबो नाम रखे जाने की भी एक खास वजह है। दरअसल गुलाबो बचपन में बहुत गोरी थीं और उनके गाल भी एक दम गुलाबी थे। पिता भी अपनी नन्ही परी से बहुत प्यार करते थे और इसी कारण पिता ने ही उनका नाम गुलाबो रखा जिसके बाद उन्हें इसी नाम से पुकारा जाने लगा।
17 साल की उम्र में वाशिंगटन में किया प्रोग्राम
गुलाबो जब महज 17 साल की उम्र की थी तो उन्होंने फेस्टिवल ऑफ इंडिया प्रोग्राम में परफॉर्म किया था यह प्रोग्राम वाशिंगटन में आयोजित करवाया गया था। इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी शामिल हुए थे।
इस तरह बदली समाज की सोच
पहले जहां लोगों की सोच यह थी कि लड़कियां यह नृत्य नहीं करेंगी वहीं समाज की सोच उस वक्त बदली जब गुलाबो अमेरिका में शो करने गई। वहां से उन्हें अलग पहचान मिली और जब लोगों को उनका नृत्य पसंद आने लगा। यहीं से समाज में गुलाबो को अपनाने की असल शुरूआत हुई। इस एक जर्नी ने गुलाबो की जिंदगी इस कद्र बदली कि लोग उन्हें कहने लगे कि वह उनकी बेटियों को भी नृत्य सिखाए।
मिल चुका है पद्मश्री अवार्ड
जिंदगी में इतने दुख देखने के बाद भी हार न मानने वाली गुलाबो की जिंदगी को कुछ और ही मौजूद था। उन्होंने कालबेलिया डांस को तो नई पहचान दी ही थी साथ ही कला और संस्कृति के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए उन्हें पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित भी किया गया था।
बिग बॉस में भी आ चुकी हैं नजर
बता दें कि गुलाबो बिग बॉस में भी नजर आ चुकी हैं। गुलाबो बताती हैं कि , 'बिग बॉस में भी मुझे जाने का मौका मिला, लोगों ने कहा कि वहां जाकर क्या करेंगी, लेकिन बिग बॉस के जरिए लोग और भी मुझे जानने लगे, इस कार्यक्रम में भी मैंने नृत्य किया था।' इतना ही नहीं गुलाबो कईं फिल्मों में भी अपना कमाल दिखा चुकी है।
खोल रही पुष्कर में स्कूल
कालेबिलया नृत्य की असल शुरूआत गुलाबो से हुई हालांकि उन्होंने इसे कहीं से सीखा नहीं है। लेकिन वह चाहती हैं कि हर घर में एक गुलाबो जरूर हो। वहीं गुलाबो पुष्कर में एक स्कूल भी खोलना चाहती हैं जहां पर निशुल्क पढ़ाई करवाई जाए और साथ ही बच्चियों को नृत्य भी सिखाया जाएगा।
गुलाबो को हमारा भी सलाम है। सच में आज वह बहुत से लोगों के लिए मिसाल है।