बसंत पंचमी के दिन सरस्वती की आराधना की जाती है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है। बता दें कि इस बार पंचमी 26 जनवरी को मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार मां सरस्वती के हाथ में वीणा, पुस्तक और माला लिए हुए हैं। श्वेत कमल पर विराजमान वर-मुद्रा में प्रकट हुई थीं। ग्रंथों के अनुसार वीणा से मधुरनाद छेड़ते ही सभी जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल और हवा में सरसराहट होने लगी. तभी से उन्हें ज्ञान, विद्या, वाणी, संगीत और कला की अधिष्ठात्री देवी कहा जाने लगा।
मान्यता है कि ज्ञान और वाणी की देवी माता सरस्वती की उपासना से मूर्ख भी विद्वान बन जाता है। इतना ही नहीं, वाणी से जुड़ी हर समस्या दूर होती है। धार्मिक मान्यता है कि बच्चे में किसी तरह का वाणी दोष होने पर या पढ़ाई में मन नहीं लगने पर बसंत पंचमी के दिन ये उपाय अवश्य करें।
जब पढ़ाई में नहीं लगता मन
अगर बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता, या फिर पढ़ाई से जी चुराता है तो बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को हरे रंग के फल अर्पित करने से लाभ होगा.। वहीं, मां सरस्वती का एक चित्र बच्चे के स्टडी रूम में स्टडी टेबल के पास चिपका दें। पढ़ाई करने से पहले नियमित रूप से माता को प्रणाम करने के बाद ही पढ़ाई के लिए कहें। मां सरस्वती की पूजा के बाद बच्चे की जीभ पर शहद से ॐ बनाएं। ऐसा करने से बच्चा ज्ञानवान बनता है।
वाणी दोष दूर करने के लिए
मान्यता है कि किसी भी बच्चे में वाणी दोष होने पर बसंत पंचमी के दिन उसकी जीभ पर चांदी की सलाई या पेन की नोक से केसर द्वारा ‘ऐं’ लिखें। कहते हैं इससे बच्चे की जुबां स्पष्ट होती है और वाणी दोष समाप्त हो जाता है। इतना ही नहीं, वो बात करने की कला में निपुण होता है।