बच्चों पर पढ़ाई का बहुत ज्यादा प्रेशर होता है। क्लास में फर्स्ट आने की होड़ और पढ़ाई के बोझ के कारण वह रात को देर से सोते हैं और सुबह जल्दी उठ जाते हैं। इससे उनकी नींद भी पूरी नहीं हो पाती। नींद की कमी के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता। एेसे में माता-पिता को चाहिए की वह बच्चों को स्कूल से आने के बाद 2 घंटे सोने के लिए कहें और रात को जल्दी सुला दें। इसके साथ ही बच्चों की स्कूल की टाइमिंग भी थोड़ी लेट होने चाहिए। एेसा करने से बच्चा भरपूर मात्रा में नींद ले पाएगा।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
शोधकर्ताओं का कहना है कि बच्चों के लिए स्कूल का शुरुआती समय यानि 7.30 से 8.30 बजे किशोरों के लिए बहुत जल्दी हैं। स्कूल का इतना जल्दी समय बच्चों में नींद की कमी का कारण बनता है। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि बच्चों की कोई भी कक्षा 8.30 बजे से पहले शुरू नहीं होनी चाहिए। वहीं नेवादा विश्वविद्यालय ने कहा कि 11-12 बजे का समय भी बच्चों के लिए बेहतर हैं।
बच्चों के लिए कितने घंटे की नींद है जरूरी
बच्चों के लिए पर्याप्त नींद बेहद जरूरी है क्योंकि इससे उनका दिमाग सक्रिय रहता है और वह पढ़ाई पर भी ध्यान दे पाते हैं। नींद पूरी न होने से बच्चे का दिमागी विकास धीमा या फिर रुक भी सकता है। उम्र के हिसाब से स्कूल जाने वाले 2 साल के बच्चे को 12-14 घंटे, 2-5 साल तक 12 घंटे, 6-12 साल तक 10 घंटे और 12 साल के बाद 9 घंटे की नींद लेनी ही चाहिए।
बच्चों की बेड टाइम रूटीन
-बच्चों को बेड टाइम की रूटीन बनाने में मदद करें। उन्हें गैजेट्स का इस्तेमाल न करने दें। बच्चों तो सुलाने से कम से कम 45 मिनट पहले टी.वी बंद कर दें। इसके अलावा सोने से पहले बच्चों को गर्म पानी से स्नान करवाएं। इससे उन्हें नींद अच्छी आएगी।
-अगर आपका बच्चा स्कूल या किसी और बात को लेकर अक्सर स्ट्रेस में रहता है तो उन्हें कुछ योगा तकनीक सिखाएं। मेडीशन या योगा करने से बच्चा का स्ट्रेस बूस्ट होगा, जिससे उन्हें अच्छी नींद मिलेगी। आप चाहे तो सोने से पहले उन्हें वॉक पर भी लेकर जा सकते हैं।
-इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा डिनर करने के कम से कम आधे घंटे बाद सोएं। इससे उन्हें नींद भी अच्छी आएगी और डाइजेशन प्रॉब्लम भी नहीं होगी।
-बच्चों से बात करें उन्हें सुनें। अगर बच्चों को कोई टेंशन या प्रॉब्लम है तो उसे दूर करने की कोशिश करें। उन्हें सुलाने से पहले रिलेक्स करवाएं। अगर दिमाग में कोई टेंशन नहीं होगी तो वह अच्छी तरह सो पाएंगे।
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