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नमन: 'मैंने जिंदगी जी ली, इनके बच्चे अनाथ हो जाएंगे' कह कर 85 साल बुजुर्ग ने युवक के लिए छोड़ा बेड

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 28 Apr, 2021 07:16 PM
नमन: 'मैंने जिंदगी जी ली, इनके बच्चे अनाथ हो जाएंगे' कह कर 85 साल बुजुर्ग ने युवक के लिए छोड़ा बेड

देश में आई कोरोना वायरस की दूसरी लहर इस कदर लोगों पर हावी है कि वह बच्चों, बुजुर्गों यहां तक कि जवान लोगों को भी नहीं छोड़ रही। देश में पिछले एक हफ्ते से हर रोज़ तीन लाख से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं जिसका असर यह पड़ रहा है कि अस्पतालों में मरीज़ों को बेड तक नहीं मिल पा रहे। वहीं इसी से संबंधित मानवता की एक ऐसी मिसाल देखने को मिली जिसे देश का हर आदमी यहां तक कि मुख्यमंत्री ने भी सरहाना की। 
 

दरअसल,  महाराष्ट्र के नागपुर जिले के 85 साल के बुजुर्ग नारायण भाऊराव दाभाड़कर ने एक अन्य जवान मरीज़ के लिए अस्पताल में अपना बेड खाली कर दिया। उन्होंने यह कहते हुए अपना बेड खाली किया कि, 'मैंने अपनी पूरी जिंदगी जी ली है, लेकिन उस व्यक्ति के पीछे पूरा परिवार है, उसके बच्चे अनाथ हो जाएंगे।' इसके बाद नारायण राव डिस्चार्ज होकर घर चले गए और तीन दिन बाद ही उन्होंने इस संसार को अलविदा कह दिया। जब इस बात की जानकारी सोशल मीडिया पर आई तो हर किसी आंख नम हो गई। इस मुश्किल की घड़ी में नारायण राव जी के इस हौंसले और सोच की लोग प्रशंसा करते नही थक रहे।
 

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, नागपुर निवासी नारायण भाऊराव दाभाडकर कोरोना से संक्रमितथे। उनका ऑक्सीजन लेवल घटकर 60 तक पहुंच गया था। इसके बाद उनके बेटी और दामाद ने उन्हें इंदिरा गांधी शासकीय अस्पताल में भर्ती कराया। लंबी जद्दोजहद के बाद नारायण राव को बेड भी मिल गया था। इस बीच, एक महिला रोती हुई  40 वर्षीय पति को अपने साथ लेकर आई। महिला अपने पति के लिए बेड की तलाश में थी। 


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इस दौरान महिला की पीड़ा देखकर नारायण राव से रहा नहीं गया और  डॉक्टर से कहा, 'मेरी उम्र 85 साल पार हो गई है। काफी कुछ देख चुका हूं, अपना जीवन भी जी चुका हूं। बेड की आवश्यकता मुझसे अधिक इस महिला के पति को है। उस शख्स के बच्चों को अपने पिता की आवश्यकता है। वरना वे अनाथ हो जाएंगे।  इसके बाद नारायण ने अपना बेड उस महिला के पति को दे दिया। 
 

उनके आग्रह को देख अस्पताल प्रशासन ने उनसे एक कागज पर नोट भी  लिखवाया, ‘मैं अपना बेड दूसरे मरीज के लिए स्वेच्छा से खाली कर रहा हूं।  दाभाडकर ने स्वीकृति पत्र भरा और घर लौट गए। कोरोना पीड़ित नारायण की घर पर ही देखभाल की जाने लगी, लेकिन तीन दिन बाद उनकी मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक, नारायण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे।
 

नारायण राव के इस हौंसले को हजारों लोगों ने श्रद्धांजलि दी है। वहीं इसी बीच  मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी एक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि, 'दूसरे व्यक्ति की प्राण रक्षा करते हुए नारायण जी तीन दिनों में इस संसार से विदा हो गए। समाज और राष्ट्र के सच्चे सेवक ही ऐसा त्याग कर सकते हैं, आपके पवित्र सेवा भाव को प्रणाम!' आप समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं। दिव्यात्मा को विनम्र श्रद्धांजलि। ॐ शांति!''

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