हिंदू धर्म में हर पर्व को बहुत ही खास महत्व दिया जाता है। कार्तिक महीने की पूर्णिमा इस बार 7 नवंबर को बनने वाली है। माना जाता है कि इस दिन देवतागण पृथ्वी पर काशी नगर में गंगा स्नान करने के लिए आते हैं और दीवाली का त्योहार मनाते हैं। हर साल की तरह इस बार भी कार्तिक पूर्णिमा पर साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इस बार चंद्रग्रहण 8 नवंबर को लगेगा। चंद्रग्रहण 8 नवंबर को दोपहर 2:18 पर शुरु होगा और शाम 6:20 पर खत्म होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर साल चंद्रग्रहण पूर्णिमा पर ही क्यों लगता है। तो चलिए आपको बताते हैं इसके पीछे का कारण क्या है....
इसलिए लगता है पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण
चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच में आती है। इन तीनों चीजों के एक सीध में होने के कारण चंद्रमा तक सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती। इसी घटना को चंद्रग्रहण कहते हैं। साइंस के अनुसार, जब भी चंद्रमा पृथ्वी के छाया में आता है तो यह दिन पूर्णिमा का होता है। पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण इसलिए लगता है क्योंकि सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा तीनों एक ही दिशा में होते हैं।
अमावस्या पर लगता है सूर्य ग्रहण
वहीं जैसे पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगता है वैसे ही अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण लगता है। पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर लगाने के लिए चंद्रमा को 27 दिनों का समय लगता है। जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आता है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है। वहीं जब अमावस्या के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा पास होता है तो ज्यादातर सूर्यग्रहण लगता है। इसलिए सूर्यग्रहण अमावस्या पर ही लगता है।
बरतें ये सावधानियां
. चंद्र ग्रहण के दौरान मंदिर को खोलना नहीं चाहिए। सूतक लग जाने के बाद ग्रहण खत्म होने तक भगवान की पूजा भी नहीं करनी चाहिए।
. सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण गर्भवती महिलाओं के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। इसलिए इस दौरान उन्हें अपने घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।
. ग्रहण के दौरान धार वाली चीजें जैसे चाकू, सिलाई, कैंची का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए। सूतक काल के बाद ही इन चीजों का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।