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रामलला की 5 साल के 'बाल स्वरूप' की मूर्ति ही क्यों स्थापित की गई? जानिए इसके पीछे की खास वजह

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 22 Jan, 2024 04:33 PM
रामलला की 5 साल के 'बाल स्वरूप' की मूर्ति ही क्यों स्थापित की गई? जानिए इसके पीछे की खास वजह

अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला विराजमान हो चुके हैं। रामलला की मूर्ति के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आज शुभ मुहूर्त में पूर्ण किया। इसमें श्री राम कमल पर 5 साल के बाल स्वरूप में विराजमान है। राम लला की  श्याम वर्ण की 51 इंच लंबी और 3 फीट चौड़ी मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया गया है। राम लला की दिव्य बाल स्वरूप मूर्ति को देखने के बाद आपके भी मन में सवाल आया होगा के रामलला की मूर्ति 5 साल के बाल स्वरूप में ही क्यों इससे छोटी या बड़ी उम्र की क्यों नहीं। तो सबसे पहले जानते हैं कि राम मंदिर में भगवान श्रीराम के बाल्यकाल की मूर्ति स्थापित करने की क्या वजह है।

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5 साल के बच्चे को क्या माना जाता है?

हिंदू धर्म में 5 साल तक की उम्र को बाल्यकाल माना जाता है। इसके बाद बालक को बोधगम्य माना जाता है। चाणक्य और अन्य विद्वानों का कहना है कि पांच साल की उम्र तक बच्चे की हर गलती माफ होती है क्योंकि वो अबोध होता है। उस उम्र तक केवल उसे सिखाने का काम करें। चाणक्य नीति में बच्चों के अबोध और बोधगम्यता को लेकर उम्र की चर्चा इस तरह की गई है।
 

पांच वर्ष लौं लालिये, दस सौं ताड़न देइ। सुतहीं सोलह बरस में, मित्र सरसि गनि लेइ।।

महाकाल लोक के महंत प्रणव पुरी का कहना है कि ग्रंथों में भी पांच साल की उम्र तक भगवान और दिव्य पुरुषों की बाल लीला का अधिक आनंद लिया गया है। भगवान राम की पांच साल की उम्र की मूर्ति स्थापित किए जाने के संबंध में काकभुशुंडी के श्लोक बहुत सामयिक और सटीक लगते हैं।

काकभुशुंडी ने क्या कहा?

तब तब अवधपुरी मैं जाऊं। बालचरित बिलोकि हरषाऊं॥
जन्म महोत्सव देखउं जाई। बरष पांच तहं रहउं लोभाई॥

इस श्लोक का अर्थ है तब-तब मैं अयोध्यापुरी जाता हूं। उनकी बाल लीला देखकर प्रसन्न होता हूं। वहां जाकर मैं जन्म महोत्सव देखता हूं, इसके लोभ में 5 साल तक वहीं रहता हूं।

51 इंच की ही क्यों है रामलला की मूर्ति?

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पांच साल के बालक की ऊंचाई लगभग 43 से 45 इंच के आसपास मानी जाती है लेकिन जिस समय श्री राम जी का जन्म हुआ था उस समय में आम लोगों की औसत लंबाई कहीं ज्यादा होती थी। इस हिसाब से 51 के शुभ नंबर को देखते हुए उनकी ऊंचाई 51 मानी गई।

काले पत्थर की क्यों बनाई गई मूर्ति ?

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शालिग्राम पत्थर को पवित्र माना जाता है। हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं की मूर्ति को इसी पत्थर से बनाया जाता है राम लला की मूर्ति को भी शालिग्राम पत्थर से बनाया गया है। शालिग्राम काले रंग के चिकने और अंडाकार पत्थर होते है। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, शालिग्राम भगवान विष्णु के विग्रह स्वरूप है। ये एक प्रकार का जीवाश्म पत्थर है। शालिग्राम पत्थर को पवित्र नदी की तली या किनारों से इकट्ठा किया जाता है।

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