हौसला हो तो इंसान क्या नहीं कर सकता। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बिहार की ‘किसान चाची’ के नाम से मशहूर राजकुमारी देवी ने। बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली किसान चाची ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की ऐसी अलख जगाई कि आज पूरा देश उन्हें जानता है। उनकी मेहनत का फल है कि उन्हें साल 2019 में राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
बनना चाहती थीं शिक्षिका
किसान चाची उर्फ राजकुमारी देवी का जन्म एक शिक्षक परिवार में हुआ था। वह भी एक शिक्षिका बनना चाहती थीं, लेकिन मैट्रिक पास होते ही उनकी शादी किसान अवधेश कुमार चौधरी से करा दी गई।
मुश्किलों भरी रही जिंदगी
राजकुमारी देवी के लिए किसान चाची बनने का सफर आसान नहीं रहा। पहले तो घर वालों के विरोध की वजह से शिक्षिका नहीं बन सकीं। उसके बाद संतान न होने के ताने सहने पड़े। बाद में बेटियों की मां बनी तो उन्हें समाज की खरी-खोटी सुननी पड़ी। उन्हें घर से भी निकाल दिया गया लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा।
घर-घर जाकर बेचती थीं अचार
किसान चाची उर्फ राजकुमारी देवी 40 से 45 किलोमीटर दूर साइकल चलाकर घूम-घूमकर अपना अचार बेचा करती थीं। इस दौरान उन्होंने लोगों के ताने भी सुने लेकिन उनकी हिम्मत नहीं टूटी। साल 2000 से उन्होंने घर में ही अचार बनाना शुरू किया। इस काम में उन्होंने आस-पास की महिलाओं को भी जोड़ा। उन महिलाओं के साथ मिलकर किसान चाची ने मिर्च, आम, नींबू और आवला जैसे कई तरह के अचार लगाकर बजार में बेचने शुरू किए।
मिल चुके हैं कई सम्मान
अपने काम के लिए किसान चाची को कई सम्मान मिल चुके हैं। बिहार सरकार ने उन्हें किसानक्षी सम्मान से नवाजा। इससे पहले 2003 में कृषि मेले के दौरान आर.जे.डी. प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने उन्हें सम्मानित किया। फिर 2013 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनकी खूब प्रशंसा की। सुपरस्टार अमिताभ बच्चन भी उनके आचरण की तारीफ कर चुके हैं।