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संतान प्राप्ति के लिए अहोई अष्टमी पर करें इस कुंड में स्नान, झोली भर देगी राधा रानी !

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 23 Oct, 2024 11:57 AM
संतान प्राप्ति के लिए अहोई अष्टमी पर करें इस कुंड में स्नान, झोली भर देगी राधा रानी !

नारी डेस्क: अहोई अष्टमी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष रूप से संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस व्रत को संतान प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है और राधा कुंड में स्नान करने की परंपरा से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। कहा जाता है कि नि:संतान दंपति अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में स्नान करके विशेष आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

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राधा कुंड का महत्व

राधा कुंड जो कि मथुरा जिले में गोवर्धन पर्वत के पास स्थित है, कृष्ण और राधा की लीलाओं से जुड़ा हुआ है। यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है, और मान्यता है कि यहां स्नान करने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं और उन्हें विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। अहोई अष्टमी के दिन विशेष रूप से राधा कुंड में स्नान करना और व्रत रखना संतान प्राप्ति के लिए फलदायी माना जाता है।

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राधा कुंड और अहोई अष्टमी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार मथुरा के राजा कंस ने भगवान कृष्ण को मारने के लिए अरिष्टासुर राक्षस को यहां भेजा था। राक्षस ने गाय रूपी भेष धारण किया और ग्वाल वालों के यहां गाय को मारने लगा। कृष्ण त्रिलोकी थे. उन्होंने अरिष्टासुर राक्षस को पहचान लिया और उसका वध कर दिया। राधा ने देखा किकृष्ण ने गौ हत्या कर दी है. इससे उन पर गौ हत्या का पाप लगा गया। राधा ने कृष्ण से कहा इस पाप से मुक्ति पाने के लिए आपको सभी नदियों में जाकर स्नान करना पड़ेगा, तभी आपको इस पाप से मुक्ति मिलेगी।  पाप से मुक्ति के लिए अहोई अष्ठमी की आधी रात को भगवान कृष्ण और राधा द्वारा अलग-अलग दो कुंडों का निर्माण हुआ, जिसे आज राधाकुंड, श्यामकुंड के नाम से जानते हैं। इस दिन राधा ने आशीर्वाद दिया था कि कोई भी दंपति अहोई अष्टमी के दिन मध्यरात्रि में एक साथ स्नान करेंगे तो उनको संतान प्राप्ति होगी। ऐसी मान्यता है कि इस कुंड में सभी तीर्थों का वास है। 


अहोई अष्टमी पर राधा कुंड स्नान की परंपरा

 नि:संतान दंपति अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड पर स्नान करके विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन अहोई माता की पूजा करके व्रत रखा जाता है, जिसमें महिलाएं अपने बच्चों की लंबी आयु और सुख की कामना करती हैं। अहोई माता की पूजा के साथ-साथ राधा कुंड पर स्नान करने से भक्तों को उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद मिलता है।

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राधा कुंड स्नान की विधि

अहोई अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर व्रती महिलाएं राधा कुंड पर जाती हैं। स्नान के दौरान भगवान कृष्ण और माता राधा का स्मरण किया जाता है।
इसके बाद महिलाएं विशेष पूजा करती हैं और अहोई माता से संतान की लंबी उम्र, समृद्धि, और सुख-शांति की प्रार्थना करती हैं। अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान को बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है। जिन दंपत्तियों को संतान नहीं होती, वे इस दिन राधा कुंड पर स्नान कर अहोई माता से संतान सुख की प्रार्थना करते हैं, और उन्हें संतान सुख प्राप्त होने की मान्यता है।
 

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