हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी का त्योहार आता है। यह त्योहार कृष्ण जन्माष्टमी से करीब 15 दिनों के बार मनाया जाता है। इस बार 14 सितंबर, दिन मंगलवार को राधा अष्टमी का पावन पर्व पड़ रहा है। इस दौरान राधा रानी की पूजा व व्रत रखा जाता है। माना जाता है कि राधा रानी के बिना श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी होती है। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण के पहले उनके नाम का जाप किया जाता है।
वहीं राधा रानी का जिक्र होने पर उनकी कुछ सखियों का नाम भी आते हैं। वैसे तो राधा जी की कई सखियां थी। मगर फिर भी उनमें से 8 सखियों ऐसी थी जो राधा जी के साथ श्रीकृष्णा के भी बेहद करीब थी। ऐसे वे अष्टसखी कहलाती है। चलिए राधा अष्टमी के पावन अवसर पर हम आपको राधी जी की उन 8 सखियों के बारे में बताते हैं...
श्रीललिता देवी
राधा रानी की सखियों में पहला नाम श्रीललिता देवी का आता है। ये राधा जी की प्रिय सखियों में आती थी। कहा जाता है कि ये हमेशा मोरपंख के रग की ही साड़ी पहनती थी। इन्हें सुंगध की खास समझ थी। इसके साथ ही ये राधा रानी को पान का बीड़ दिया करती थी।
विशाखा
भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय राधा रानी की दूसरी खास सखी विशाखा थी। ये देखने में बेहद ही सुंदर व आकर्षित थी। विशाखा सुंदर कपड़े बनाने में माहिर मानी गई थी। वे राधा जी को कपूर और चंदन से चीजों तैयार करके देती थी।
चित्रा
राधा रानी की तीसरी सखी चित्रा को कई कलाओं बेहद ज्ञान था। वे संगीत, प्राकृति के रहस्यों व श्रृंगार आदि कलाओं में बेहद निपुण थी। राधा जी का श्रृंगार उनकी सखी चित्रा की करती थी। कहा जाता है कि चित्रा के अंगों में केसर जैसी चमक व सुगंध थी। इसके साथ ही वे इशारों द्वारा ही राधा रानी को अपने मन की बात समझा देती थी।
इन्दुलेखा
इन्दुलेखा, राधा जी की चौथी व बेहद प्रिय सखी थी। उसके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती थी। ऐसे में इन्दुलेखा के मुख पर अलग की चमक रहती है। वे हमेशा लाल रंग की साड़ी पहनती थी। साथ ही उन्हें गाने और नृत्य का बेहद ज्ञान था।
चंपकलता
चित्रा की तरह चंपकलता को भी श्रृंगार का बेहद ज्ञान था। ऐसे में वे भी राधा को तैयार करती थी। नीले रंग की साड़ी पहनी चंपकलता बेहद ही सुंदर दिखाई देती है।
रंगदेवी
ये राधा की जी छठी सखी कहलाती थी। रंगदेवी सभी व्रत के विधानों को अच्छे से जानती थी। इसके साथ ही वे राधा जी के चरणों पर जावन लगाया करती थी।
तुंगविद्या
राधा जी की सातवीं सखी तुंगविद्या तेज दिमाग की मालिक थी। इन्हें ललित कलाओं का खास ज्ञान था। इतना ही नहीं वे संगीत का भी अच्छा ज्ञान रखती थी।
सुदेवी
राधा रानी की आठवीं प्रिय सखी सुदेवी थी। ये राधा जी का अच्छे से ध्यान रखने के साथ उन्हें जल पिलाने का काम करती है। कहा जाता है कि इन्हें जल साफ व निर्मल करने के ज्ञान था।