कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। इसके कारण जहां लोग सेहत से जुड़ी परेशानियों का सामना कर रहें हैं, वहीं स्कूल, कॉजेल, कारोबार बंद या धीमी होने से लोग आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहें हैं। बात अगर स्कूल की करें तो उसके खुलने के बारे में अभी ज्यादा कुछ कहा नहीं जा सकता है। ऐेसे में स्कूल के बंद रहने से प्राइवेट टीसर्च के लिए ये समय बेहद मुश्किलों और चुनौतियों से भरा है। ऐसे में जॉब न होने से उनकी आर्थिक दशा बेहद खराब हो रही है। वे पैसे कमाने के लिए किसी भी तरह की मेहनत- मजदूरी करने को तैयार है।
टीचर्स के सामने रोटी कमाने का संकट
वैसे तो पूरी दुनिया ही कोरोना कहर के चलते आर्थिक परेशानी से गुजर रही है। मगर यहां हम आपको मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के सेंधवा में रहने वाले एक व्यक्ति के बारे में बता रहे हैं। मध्यप्रदेश के एक प्राइवेट स्कूल में काम कर रहें टीचर जिनका नाम जितेंद्र सिंह राठौर है। वे पिछले करीब 10 से 12 साल से टीचर के रूप में काम कर रहे हैं। ऐसे में इस वायरस के चलते जहां स्कूल बंद हुए वहीं उनकी रोजी- रोटी कमाने का एक मात्रा साधन भी उनके हाथ से चला गया। ऐसे में उनपर भारी संकट सा छा गया।
फुटपाथ पर कपड़ों की दुकान चलाकर पाल रहें परिवार
इस संकट की घड़ी में अपने परिवार को पालने के लिए उन्होंने रोजगार को ढूंढने में बहुत सी कोशिशे की। मगर कोई काम न मिलने पर आखिर में उन्होंने फुटपाथ पर ही कपड़ों को बेचने की दुकान लगाने का फैसला किया। एक इंटरव्यूूूूूूूू के दौरान जितेंद्र ने बताता कि उन्हें यह काम को करने का बिल्कुल भी अनुभव नहीं है। मगर फिर भी वे इसे सिखने की पूरी मेहनत कर रहे हैं ताकि अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सके।
सरकार से भी मांगी मदद
जितेंद्र सिंह ने अपनी आर्थिक दशा से तंग व मजबूर होकर सरकार से भी उनकी मदद करने की मांग की है। ताकि उनके परिवार का सही तरीके से पालन पोषण हो सके। साथ ही उन्होंने कहा कि स्कूल कब खुलेंगे इस बारे में तो कुछ सही से कहा नहीं जा सकता। मगर जब स्कूल नहीं खुलेंगे जब तक सरकार को उनकी और उनके साथी टीचर्स की आर्थिक रूप से सहायता जरूर करनी चाहिए।