कोरोना वायरस के बाद देश में बीते दिन हमारे देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का बजट पेश किया। इस बजट में काफी घोषणाएं की गई। जबसे देश को कोरोना की मार पड़ी है तबसे ही आम लोगों की और प्रशासन की चिंता बढ़ गई है। सरकार भी जागरूक हो गई है और इसी के कारण वह आने वाले समय से लोगों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है ताकि कोरोना की तरह अगर कोई अन्य बीमारी आई तो लोगों की जान न जा सके। इस बात का अंदाजा हम बीते दिन बजट को देख कर लगा सकते हैं क्योंकि स्वास्थय को लेकर भी वित्त मंत्री ने काफी घोषणाएं की। इसी दौरान निर्मला सीतारमण ने एक वैक्सीन का भी जिक्र किया। तो चलिए आपको उसके बारे में सब कुछ बताते हैं।
न्यूमोकोकल वैक्सीन का हुआ जिक्र
निर्मला सीतारमण ने इस वैक्सीन का जिक्र करते हुए बताया कि इस वैक्सीन को देशभर में शुरू किया जाएगा। दरअसल यह वैक्सीन विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भारत के पुणे में स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित की गई है। और इस वैक्सीन को आरंभिक स्तर पर स्वीकृति भी दी गई है।
कैसे काम करती है वैक्सीन?
आपको बता दें कि न्यूमोकोकल वैक्सीन एक प्रकार से फेफड़ों के संक्रमण को रोकने की एक विधि होती है। जैसे कि निमोनिया को रोकना आदि। मीडिया रिपोर्टस की मानें तो कईं लोगों के शरीर में न्यूमोकोकस नामक बैक्टीरिया होते हैं लेकिन वो बीमार नहीं होते हैं और जब वह छींकते हैं, सांस लेते हैं या फिर खांसते हैं तो बैक्टीरिया को बूंदों के रूप में फैलाते हैं और इससे वह दूसरे लोगों को आसानी से संक्रमित कर सकते हैं।
न्यूमोकोकल संक्रमण से बचाती है वैक्सीन
इस वैक्सीन को इसलिए लाया जा रहा है ताकि बच्चों को बचाया जाए और मृत्यु दर को कम किया जाए। आपको बता दें कि यह एक ऐसा संक्रमण होता है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है। इससे फेफड़े, रीढ़ की हड्डी में गंभीर संक्रमण होने की संभावना काफी अधिक हो जाती है। और यह रोग बच्चों, बुजुर्गों के लिए तो घातक होता ही है साथ ही में यह उनके लिए भी घातक होता है जो पहले से अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं।
क्यों जरूरी है वैक्सीन?
एक बार आंकड़ों की तरफ देखा जाए तो साल 2018 में निमोनिया के कारण लाखों लोगों की मौत हो गई इतना ही नहीं निमोनिया और डायरिया के कारण भारत में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु के सबसे प्रमुख कारणों में शामिल हैं।
50 हजार बच्चों की जान बचाई जा सकेगी
निर्मला सीतारण की ने बजट पेश करते वक्त कहा कि इस वैक्सीन से 50 हजार बच्चों की जान बचाई जा सकेगी। लेकिन यह वैक्सीन हर किसी को नहीं दी जाएगी बल्कि यह 2 साल से कम आयु के शिशुओं या फिर 65 साल या फिर उससे अधिक उम्र के लोगों को दी जा सकती है।
बता दें कि वर्तमान में यह वैक्सीन 5 राज्यों तक ही सीमित है।
किस तरीके से दी जाती है खुराक
मिली जानकारी के मुताबिक 2 साल से कम आयु के शिशुओं को टीके की चार खुराक दी जाती है।
पहली खुराक- शिशुओं को दो महीने की उम्र में
दूसरी खुराक - चार महीने में
तीसरी खुराक- छह महीने में
चौथी और आखिरी खुराक - 12 से 15 महीने में दी जाती है
नोट- 65 साल या फिर उससे ज्यादा है तो उन्हें वैक्सीन की एक डोज दी जाती है। वहीं दो से 64 साल के लोगों को स्वास्थ की विशेष परिस्थितियों में ही यह वैक्सीन दी जाती है।