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27 मई को नारद जयंती, पत्रकारिता से जुड़े लोग जरूर करें पूजा

  • Edited By neetu,
  • Updated: 26 May, 2021 06:59 PM
27 मई को नारद जयंती, पत्रकारिता से जुड़े लोग जरूर करें पूजा

हिंदू धर्म के अनुसार, ज्येष्ठ या जेठ माह के कृष्‍ण पक्ष की तिथि को नारद जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार 27 मई, गुरुवार को यह शुभ दिन पड़ रहा है। नारद जी श्रीहरि के अनन्य भक्त होने के साथ देवताओं के संदेशवाहक भी माने जाते थे। वे तीनों लोकों में घूमकर भक्ति का गुणगान करते थे। साथ ही सभी को सूचनाएं पहुंचाने का काम करते थे। इसलिए उन्हें सबसे पहला पत्रकार भी माना गया है। ऐसे में इस शुभ दिन पर पत्रकारिता से जुड़े लोगों को नारद जी की पूजा जरूर करनी चाहिए। साथ ही इस दिन कुछ खास उपाय करने से बल, बुद्धि व मनचाहा फल मिलता है। तो आइए जानते हैं उन उपायों के बारे में...

पत्रकारिता से जुड़े लोग करें नारद जी की पूजा

नारद जी को सबसे पहला पत्रकार माना जाता है। ऐसे में जो लोग पत्रकारिता से जुड़े वे इस शुभ दिन पर नारद की मूर्ति को सफेद फूल, फल व मेवे का मिष्ठान्न चढ़ाएं। साथ ही संकल्प लें कि नादर जी की वे निष्पक्षता से सीख लेकर लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को मजबूत बनाएं रखने का काम करेंगे।

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भक्ति के रस में खोने के लिए 

नारद की जयंती के दिन श्री कृष्ण के मंदिर में बांसुरी जरूर चढ़ाएं। वहीं नारद जी अपनी वीणा को बजाकर और नारायण का गुणगान करते हुए अपनी भक्ति के संगीत से तीनों लोकों के जीवों को तारने का काम करते हैं। कहते हैं कि वाल्मीकि जी को रामायण और वेद्व्यास जी को देवि भागवत की लिखने की प्रेरणा भी नारद जी द्वारा मिली थी। साथ ही ध्रुव को भक्ति मार्ग का उपदेश, रहस्य और सूत्र भी उन्होंने बताए थे। ऐसे में भगवान जी की कृपा पाने का यह सबसे उत्तम दिन है। साथ ही इस शुभ दिन पर नारायण का जप करना चाहिए। 

कुंवारी कन्याएं करें यह उपाय 

जिन कन्याओं के विवाह में बांधा आ रही है वे विधि-विधान से महागौरी पार्वती व शिव जी की पूजा करें। मान्यता है कि इससे शिवजी और देवी पार्वती की कृपा होने से मनचाहा साथी मिलता है। कहा जाता है कि माता पार्वती और शिवजी को मिलाने व उनका विवाह करवाने में देवर्षि नारद जी अहम भूमिका निभाई थी। इसके साथ ही इस शुभ दिन पर रामचरितमानस में वर्णित शिव पार्वती विवाह की कथा का पाठ करें। 

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मनचाहा फल पाने के लिए 

नारद जयंती के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन श्री सूक्त और श्रीमद गीता का पाठ करें। उसके बाद 108 बार 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' एवं 108 बार 'ॐ विष्णु प्रियाय महालक्ष्मै नमः' मंत्र का जप करें। इन मंत्रों का जाप शाम के करीब सायंकाल 5 से 8 बजे तक करें। बाद में गरीबों, जरूरतमंद वृद्ध, अपाहिजों या छोटी कन्याओं को सामार्थ्य अनुसार अन्न और वस्त्र का दान करें। मान्यता है कि इससे मनचाहा फल मिलता है। 

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