कहते हैं जहां चाह होती है वहां राह होती है। इसे सच कर दिखाया है कश्मीर के श्रीनगर में रहने वाली 19 साल की नादिया ने। नादिया कश्मीर के श्रीनगर में पहली महिला फुटबॉल कोच हैं। हर शाम वह लड़कों को फुटबॉल की कोचिंग कराती हैं।
आसान नहीं था सफर
नादिया के लिए फुटबॉल सीखने से लेकर कोच बनने का सफर आसान नहीं रहा। एक इंटर्व्यू में नादिया बताती हैं कि जब उन्होंने कश्मीर में लड़कों के साथ फुटबाल खेलना शुरू किया तो उन्हें समाज की तरफ से काफी बुरी बातें सुननी पड़ीं। कहते- लड़की होकर लड़कों के साथ खेलती है। ऐसी बातें सुनकर कई बार तो मन किया कि वे फूटबॉल खेलना ही छोड़ दें लेकिन फिर लोगों की बातों को अनदेखा करती गई और अपनी प्रैक्टिस में लगी रहीं।
कुछ दिन पहले पास की 12वीं की परीक्षा
नादिया ने अभी कुछ दिन पहले ही 12वीं की परीक्षा पास की है। वह दो बार जम्मू-कश्मीर फुटबॉल एसोसिएशन की महिला टीम की तरफ से राष्ट्रीय फुटबॉल टूर्नामेंट में पार्टिसिपेट कर चुकी हैं। उनकी इच्छा है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलें।
घर वालों का मिला सपोर्ट
नादिया बताती हैं कि जब उनके घरवालों ने देखा कि उनकी रुची फुटवॉल खेलने में है तो उन्होंने कभी रोका नहीं, बल्कि उनका सपोर्ट किया। नादिया का कहना है कि कश्मीर में कई ऐसी लड़किया हैं जो फुटवॉल खेलना चाहती हैं, लेकिन समाज के डर और घर वालों का सपोर्ट न मिलने की वजह से वे सामने नहीं आ पातीं।
घर में कमाने वाली अकेली मां
नादिया के घर में उनकी मां के अलावा कमाने वाला कोई नहीं। उनकी मां सरकारी अस्पताल में एक सुरक्षा गार्ड हैं।