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खुद सें ना करें कोरोना का इलाज, डॉक्टरी सलाह पर ही खाएं दवा

  • Edited By Priya dhir,
  • Updated: 05 May, 2021 01:09 PM
खुद सें ना करें कोरोना का इलाज, डॉक्टरी सलाह पर ही खाएं दवा

देशभर में कोविड -19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में कोरोना वायरस के इंफेक्शन से बचने के लिए लोग होम रेमेडी और कई तरह के दवाईयों का सेवन कर रहे हैं। हालांकि कुछ दवाओं और इलाज के बारे में कई तरह चर्चा की जा रही तो वहीं कुछ झूठे दावे भी किए जा रहे हैं। इस बीच विशेषज्ञों ने कोविड -19 के उपचार प्रोटोकॉल के बारे में और कई तरह की कोरोना दवाओं के बारे में बताया है जो आपके लिए जानना बेहद जरूरी है। 

पेरासिटामोल 

मरीज को बुखार या शरीर दर्द होने पर पेरासिटामोल खानी चाहिए लेकिन 24 घंटे की अवधि में डॉक्टर मरीजों को प्रति दिन 2-3 ग्राम से अधिक इसका सेवन करने की सलाह नहीं देते।

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एंटीवायरल 

कोविड 19 के लिए अब तक जिन एंटीवायरल पर ट्राइल हुआ है वो हैं लोपिनवीर-रटनवीर, रेमेडिसविर और फेविपिरवीर। इनमें से सिर्फ एक ही एंटीवायरल ड्रग रेमेडिसविर जो कोरोना के इलाज के लिए उपयोगी साबित हुआ है लेकिन बाकी एंटीवायरल की बिक्री भी देश में हो रही हैं और लोग इसका इस्तेमाल भी कर रहे हैं।

एंटीबायोटिक्स 

एंटीबायोटिक्स एंट्रीबेक्टीरियल होते हैं और कोविड के इलाज में इनकी कोई भूमिका नहीं है। हालांकि अतिरिक्ति बैक्टीरियल इंफेक्शन होने पर बीमारी के पहले 2 हफ्ते में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

लवेरमेक्टिन

 यह एक एंटी पेरासिटिक ड्रग है जिसे अभी तक कोविड-19 के इलाज के लिए बेअसर पाया गया है। कहा जा रहा है कि कोविड के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन अभी तक किसी रिसर्च में यह बात सामने नहीं आई।

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प्लाज्मा

कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के खून में से प्लाज्मा निकाला जाता है। फिर इसे संक्रमित मरीज को चढ़ाया जाता है, जिससे उनके शरीर में एंटीबॉडीज बनती है और उनके शरीर को वायरस से लड़ने में मदद मिलती है। फिलहाल इस बात के पक्के सबूत नहीं है कि यह प्लाज्मा थेरेपी सही तरीके से काम करती है या नहीं। हर मरीज के लिए प्लाज्मा थेरेपी काम में नहीं लाई जा सकती। ये रोगी बीमारी और उसकी गंभीरता पर निर्भर करती है।

स्टेरॉयड

कुछ लोग जल्दी रिकवरी के चक्कर में स्टेरॉयड का ओवरडोज लेते हैं, जो नुकसानदायक हो सकता है। खासतौर पर तब जब इनका इस्तेमाल बीमारी के शुरुआती स्टेज में किया जाए। इससे फेफड़ों पर बुरा असर पड़ सकता है। कोरोना संक्रमित व्यक्ति का इम्यून सिस्टम जब काम करना बंद कर दे तब उसके शरीर को स्टेरॉयड की जरूरत होती है।

रेमेडिसविर

कोरोना के इलाज के लिए रेमेडिसविर इंजेक्शन की मांग तेजी से बढ़ रही है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि रेमेडिसविर कोई जीवनरक्षक दवा नहीं है यानि जरूरी नहीं की इस दवा से कोरोना मरीज की जान बच सके। इसका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल नुकसानदायक भी हो सकता है। रेमेडिसविर का इस्तेमाल दूसरे एंटीबायोटिक की तरह नहीं किया जाना चाहिए। जिन मरीजों का ऑक्सीजन लेवल कम हो और एक्स-रे या सीटी-स्कैन से छाती में दिक्कतों का पता चले, उन्हें ही ऐसे इस दवा को दिया जा सकता है।

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