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Mukesh Ambani ने जहां बिताया अपना बचपन वो 100 साल पुराना घर बन गया म्यूज़ियम, कीमत 100 करोड़

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 30 Apr, 2025 09:15 PM
Mukesh Ambani ने जहां बिताया अपना बचपन वो 100 साल पुराना घर बन गया म्यूज़ियम, कीमत 100 करोड़

नारी डेस्कः अरबपति उद्योगपति मुकेश अंबानी आज भले ही दुनिया की सबसे महंगी प्रॉपर्टीज़ में से एक एंटीलिया में रहते हो, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने अपना बचपन गुजरात के चोटवाड ज़िले के एक 100 साल पुराने घर में बिताया था। जी हां,यह घर वही स्थान है जहां उनके पिता धीरूभाई अंबानी का जन्म हुआ था और उन्होंने भी अपना बचपन यही बिताया था। अब उनका ये पैतृक घर इतिहास और विरासत की एक अमूल्य धरोहर बन चुका है। आइए, अंबानी परिवार की  इस भव्य हवेली के बारे में भी कुछ दिलचस्प बातें जानते हैं। 
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अंबानी परिवार का पैतृक निवास  ‘मंगरोलवालानो डेलो’ की खासियत

अंबानी परिवार का यह भव्य पैतृक घर ( वह घर जो आपके पूर्वजों (दादा-परदादा या उनके भी पहले की पीढ़ी) का रहा हो और जहां परिवार की जड़ें जुड़ी हों।), जिसे पहले ‘मांगरोलवालानो डेलो’ कहा जाता था, गुजरात के जूनागढ़ ज़िले के चोटवाड गांव में स्थित है। यह दो मंज़िला इमारत पारंपरिक गुजराती वास्तुकला शैली में बनी है, जिसमें एक बड़ा सा आंगन, पेड़ों से घिरा बड़ा बगीचा, कई कमरे और एक छायादार बरामदा शामिल है।
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यह प्रॉपर्टी लगभग 1.2 एकड़ ज़मीन पर फैली हुई है और इसकी वर्तमान कीमत की बात करें तो यह लगभग 100 करोड़ रु. आंकी गई है। इस हवेली को फेमस इंटीरियर डिज़ाइन कंपनी 'अमिताभ टियोटिया डिज़ाइन्स' ने संवारा और उन्होंने इसकी मूल संरचना को बनाए रखते हुए इसे पर्यावरण के अनुकूल और मॉडर्न सुविधाओं का फ्यूजन देकर बखूबी सजा दिया। 
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जानकारी के मुताबिक, धीरूभाई अंबानी के पिता हीराचंद गोर्धनभाई अंबानी इस संपत्ति के मालिक थे। इसी घर में वहअपनी पत्नी और छह बच्चों के साथ रहते थे। इसी घर में धीरूभाई अंबानी का जन्म हुआ था और उन्होंने अपना बचपन यहीं बिताया था हालांकि 16 साल की उम्र में वे यह भव्य घर छोड़कर यमन चले गए थे।
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अब बना ‘धीरूभाई अंबानी मेमोरियल हाउस’

अंबानी परिवार ने इस घर का एक हिस्सा साल 1900 के आसपास किराए पर लिया था। बाद में साल 2002 में, जब धीरूभाई अंबानी का निधन हुआ तो उन्होंने इसे हमेशा के लिए खरीद लिया। इसके बाद इसमें कई बार मरम्मत और बदलाव किए गए, ताकि इसे और अच्छा और सुंदर बनाया जा सके।साल 2011 में इस पुराने घर को एक स्मारक बना दिया गया। इसे एक स्मारक के रूप में जनता के लिए खोला गया और इसे ‘धीरूभाई अंबानी मेमोरियल हाउस’ नाम दिया गया।
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 इस हवेली को दो हिस्सों में विभाजित किया गया है, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र। सार्वजनिक क्षेत्र – जिसे आम लोग देख सकते हैं। निजी क्षेत्र – जहां अभी भी अंबानी परिवार आता-जाता रहता है।
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धीरूभाई अंबानी की पत्नी कोकिलाबेन अंबानी अक्सर निजी हिस्से में आती- जाती रहती हैं जबकि पब्लिक एरिया में धीरूभाई की तस्वीरें, पुरस्कार, और उनके व्यक्तिगत सामान प्रदर्शित किए गए हैं। यह स्मारक हर मंगलवार से रविवार तक सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है। सोमवार और सार्वजनिक छुट्टियों को बंद रहता है। हैरानी की बात है कि यहां सिर्फ 2 रु. मात्र एंट्री फीस लगती है। स्कूल और कॉलेज गोइंग बच्चे यहां आना काफी पसंद करते हैं।
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यहां पर लाइब्रेरी और गिफ्ट शॉप जैसी सुविधाएं भी हैं। मुकेश अंबानी का यह पैतृक घर सिर्फ एक मकान नहीं, बल्कि अंबानी परिवार के संघर्ष, संकल्प और सफलता की कहानी है जो दूसरों को भी इंस्पायर्ड करती है। 


 

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