मां का दूध नवजात के लिए अमृत समान होता है। नवजात को मां के दूध से ही सभी जरूरी पोषक तत्व व विटामिन्स मिलते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए ना सिर्फ विदेशों में बल्कि भारत में भी कई 'ह्यूमन मिल्क बैंक' खोला गया है, जो उन नवजात शिशु के लिए दान कर सकती हैं, जिन्हें विभिन्न कारणों से अपनी मां का दूध नहीं मिल पाता।
क्या है मदर मिल्क बैंक?
मिल्क बैंक में दूध उन माताओं से लिया जाएगा, जिनके बच्चे नहीं बचते, या फिर जिन्हें जरूरत से ज्यादा दूध आता है। मदर मिल्क बैंक वो बैंक हो जो महिलाओं से न सिर्फ दूध इकट्ठा करती है बल्कि जरूरतमंद बच्चों तक वो दूध पहुंचाने का काम भी करती है।
भारत में बहुत कम है मिल्क बैंक
आज देशभर में तकरीबन 16 और मुंबई में 7 ह्यूमन मिल्क बैंक हैं लेकिन 1989 में ह्यूमन मिल्क बैंक के बारे में सोचना भी अपवाद था। भारत में कुछ सालों पहले ही ह्यूमन मिल्क बैंकों की स्थापना की पहल शुरू की गई है लेकिन अभी भी देश के कुछ प्रमुख शहरों तक ही सीमित है। यहां इनकी स्थापना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि हर साल विश्व में सबसे अधिक 'प्रीमैच्योर' शिशुओं के जन्म वाले देशों में से भारत एक है।
ब्लड बैंक जितने ही जरूरी है मिल्क बैंक
रिपोर्ट के अनुसार मां का दूध न मिल पाने के कारण हिन्दुस्तान में हर साल लगभग एक लाख 60 हजार नवजात जान गंवा देते हैं। वहीं जन्म के फौरन बाद मां का दूध नहीं मिल पाने के कारण डायरिया, निमोनिया और कुपोषण आदि अनेक कारणों से हर साल हजारों बच्चों की मृत्यु हो जाती है। मां का दूध शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास को सही गति देता है। मां का दूध शिशु का प्रथम टीकाकरण भी है। मां के दूध पर पोषित होने वाले शिशु बहुत कम बीमार पड़ते हैं। ऐसे 'मदर्स मिल्क बैंक' पूरे देश में खोले जाने चाहिए।
भारत का पहला 'मिल्क बैंक'
डॉक्टर अरमीडा फर्नांडिस मुंबई की उन डॉक्टर्स में से एक हैं, जिन्होंने एशिया का पहला ह्यूमन मिल्क बैंक खोलकर मां के दूध को 'लिक्विड गोल्ड' का दर्जा दिया।
G.M.C.H-32 में चल रहे उत्तरी भारत के पहले ह्यूमन मिल्क बैंक से अब तक 100 नवजात शिशुओं को फायदा मिल चुका है। 2 महीने पहले शुरू हुए इस ह्यूमन मिल्क बैंक (Human Milk Bank) से उन बच्चों को काफी फायदा मिल रहा है, जो पैदा होते ही मां तो खो देते है, प्री-मैच्योर बच्चे या जिन्हें किसी कारण से मां का दूध नहीं मिल पाता।
वहीं राजस्थान में उत्तर भारत की पहली 'दिव्य मदर मिल्क बैंक' बनने के बाद वर्तमान समय में यहां 11 मदर मिल्क बैंक नम चुकी हैं। इस मिल्क बैंक में प्रतिदिन 15-20 माताएं दूध डोनेट करने के लिए आती हैं। ये दूध अस्पताल में मौजूद बच्चों जरूरत पड़ने पर डाक्टर की मांग पर दिया जाता है साथ ही समुदाय के जरूरतमंद बच्चों को फ्री में दिया जाता है।
क्या यहां से दूध लेना सुरक्षित
जब कोई माँ दूध डोनेट करने आती है तो सबसे पहले उसके स्वास्थ्य की पूरी जांच की जाती है और ये देखा जाता है इनमे किसी तरह की कोई बीमारी न हो तभी किसी माँ का दूध लिया जा सकता है, दूध को माइनस 20 डिग्री पर रखा जाता है ये दूध छह माह तक खराब नहीं होता है, कम्युनिटी मिल्क बैंक करने वाला ये पहला राज्य है।
शिशु के लिए क्यों जरूरी मां का दूध?
मां का दूध एक संपूर्ण आहार है जिसमें बच्चे की जरूरत के सभी पोषक तत्व उचित मात्रा में पाए जाते हैं। वहीं शिशु इन्हें आसानी से हजम कर लेता है। मां के दूध में मौजूद प्रोटीन और फैट गाय के दूध की तुलना में भी अधिक आसानी से पच जाते हैं। इससे शिशु के पेट में गैस, कब्ज, दस्त आदि की समस्या नहीं होती है और बच्चे की दूध उलटने की संभावना भी बहुत कम होती है।
महिलाओं को झिझक क्यों?
भारत में बहुत कम महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हें मदर्स मिल्क बैंक के बारे में जानकारी हैं। वहीं कुछ महिलाएं तो जानते-बूझते मिल्क डोनेट नहीं करना चाहती। मगर, एक शिशु के लिए दूध डोनेट करने में झिझक क्यों। एक मां ही बच्चे का दर्द भली-भांति जानती हैं तो फिर ये झिझक क्यों। जहां महिलाओं को बेझिझक अपना ब्रेस्ट मिल्क डोनेट करना चाहिए वहीं भारत में ऐसे प्रोग्राम भी आयोजित होने चाहिए, जिसके जरिए महिलाओं को इसके प्रति जागरूक किया जा सके।
भारत के इन कोनों में मौजूद हैं ह्यूमन मिल्क बैंक
-अमारा दूध बैंक -ग्रेटर कैलाश, नई दिल्ली
-सायन अस्पताल यानी की लोकमान्य तिलक अस्पताल, मुंबई
-कामा एंड एल्बेलेस अस्पताल, मुंबई
-केईएम अस्पताल, परेल मुंबई महाराष्ट्र
-जेजे अस्पताल, मुंबई
-दिव्य मदर मिल्क बैंक,राजस्थान के उदयपुर में
-दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र,पुणे
-एसएसकेएम अस्पताल,कोलकाता
-इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ, एग्मोर, चेन्नई
-विजया अस्पताल, चेन्नई