'कहा जाता है कि जाको राखे साइयां मार सके ना कोई' अर्थात किसी की जान बचाने वाले भगवान है तो उसको मारने वाला कोई नहीं है। एक बार फिर ये बात सच साबित हो गई है। केरल में भूस्खलन प्रभावित वायनाड जिले में जहां सैंकड़ों लोग बेमौत मारे गए वहीं 4 बच्चे मौत को हराने में कामयाब हो गए। ये चमत्कार ही है कि इतनी तबाही के बावजूद 4 मासूम बच्चे जिंदा बच गए।
वायनाड जिले में तलाश अभियान लगातार जारी है। मलबे में फंसे लोगों को निकालने के लिए 1,300 से अधिक बचावकर्मियों, भारी मशीनों और अत्याधुनिक उपकरणों को क्षेत्र में तैनात किया गया है। वायनाड में मंगलवार को तड़के भारी बारिश के बाद बड़े पैमाने पर हुई भूस्खलन की घटनाओं में कम से कम 210 लोगों की मौत हो गई और 273 अन्य घायल हो गए। लगभग 300 लोगों के लापता होने की आशंका है। त
भूस्खलन के कारण मुंडक्कई और चूरलमाला के आवासीय क्षेत्रों में बड़ी संख्या में बड़े पत्थर और पेड़ गिरे हैं, जिससे मलबे के नीचे फंसे लोगों का पता लगाने में मुश्किल हो रही है। वहीं इसी बीच वन अधिकारियों ने 8 घंटे के अभियान के बाद एक दूरदराज के आदिवासी बस्ती से 4 बच्चों को बचाया। इन बचाए गए बच्चों में आदिवासी समुदाय के एक से चार साल की उम्र के चार बच्चे भी शामिल हैं।
वायनाड के पनिया समुदाय का एक परिवार एक पहाड़ी की चोटी पर एक दुर्गम गुफा में फंसा हुआ था, जिसके ऊपर एक गहरी खाई भी थी। रेस्कयु टीम को वहां पहुंचने में साढ़े चार घंटे से ज्यादा का समय लगा। दरअसल वन अधिकारी ने बीते गुरुवार को एक औरत और चार साल के बच्चे को वन क्षेत्र के पास भटकते हुए देखा और पूछताछ करने पर पता चला कि उसके तीन अन्य बच्चे और उनके पिता बिना कोई भोजन के एक गुफा में फंसे हुए हैं।
वन अधिकारी भारी बारिश के बीच फिसलन और खड़ी चट्टानों को पार कर उस परिवार के पास पहुंचे। वन अधिकारी ने बताया कि- ‘ बचाए गए बच्चे थके हुए लग रहे थे, हमने साथ लाए खाने-पीने का सामान उन्हें खिलाया। इस अद्भुत रेस्कयु और वन अधिकारियों के चुनौतीपूर्ण प्रयास की सराहना करते हुए केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सोशल मीडिया में तस्वीरे साझा करते हुए लिखा- “भूस्खलन प्रभावित वायनाड में हमारे साहसी वन अधिकारियों ने 8 घंटे के अथक अभियान के बाद एक सुदूर आदिवासी बस्ती से छह बेशकीमती जानें बचाई हैं । वन अधिकारियों का ये जज्बा हमें याद दिलाता है कि संकट की घोर घड़ी में भी केरल की जीवटता हमेशा चमकती रहती है। हम इस उम्मीद के साथ एकजुट होकर पुनर्निर्माण करेंगे और फिर मजबूत होकर उभरेंगे।”