फ्लाइंग सिख कहे जाने वाले देश के महान धावक 'मिल्खा सिंह' का कल बीती रात चंडीगढ़ के PGI अस्पताल में निधन हो गया। इसी हफ्ते उनकी पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह ने भी कोविड की लड़ाई में दम तोड़ दिया था। मिल्खा सिंह भी कोविड संक्रमित थे उनके निधन की खबर से पूरा देश दुखी है। राष्ट्रपति कोविंद, प्रधानमंत्री मोदी से लेकर खेल व फिल्मी जगत के सितारे दुख व्यक्त कर रहे हैं। मिल्खा सिंह की जिंदगी का हर पहलू उनकी फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' में दिखाया गया है। उनके संघर्ष के दिन से लेकर उनकी प्रेम कहानी।
संघर्ष के दिनों को याद कर मिल्खा ने बताया कि जिंदगी में उन्हें तीन बार रोना पड़ा, पहली बार अपने माता-पिता का साथ छूटने, दूसरी बार ओलंपिक में मेडल हाथ से छूटने और तीसरी बार भाग मिल्खा भाग ..फिल्म देखकर उनकी आंखों से खुद-ब-खुद आंसू निकल पड़े। मिल्खा सिंह की आखिरी हसरत पूरी ना हो पाई। एक बार उन्होंने कहा था कि मेरे हाथ से 60 साल पहले फिसले ओलंपिक मेडल को देखने की हसरत दिल में ही रह गई। बहुत दुख होता है कि इतने साल बाद भी हम देश की 125 करोड़ आबादी से दूसरा मिल्खा सिंह तैयार नहीं कर सके। मेरी आखिरी हसरत मरने से पहले ओलंपिक का मेडल हाथों में देखने की है।
अपने प्यार को लेकर भी उन्होंने एक बार कहा था 'हर खिलाड़ी और एथलीट की जिंदगी में प्यार आता है उसे हर स्टेशन पर एक प्रेमकहानी मिलती है।' मिल्खा को एक नहीं अपनी जिंदगी में 3 लड़कियों से प्यार हुआ। उन्हें जिंदगी की राह में साथ मिला निर्मल का जो खुद भी खेल जगत से जुड़ी थीं। निर्मल से उनकी पहली मुलाकात 1955 में श्रीलंका के कोलंबो (Colambo) में हुई थी। दोनों एक टूर्नामेंट में हिस्सा लेने पहुंचे थे निर्मल महिला वॉलीबॉल टीम की कप्तान थीं जबकि मिल्खा सिंह एथलेटिक्स टीम का हिस्सा रहे। कोलंबो में एक भारतीय बिजनेसमैन ने दोनों टीमों को खाने पर बुलाया था। यहीं पर दोनों पहली बार मिले थे।
हाथ पर ही होटल का नंबर
एक इंटरव्यू में मिल्खा ने बताया था कि उन्हें निर्मल पहली नजर में पसंद आ गई थी। जहां वह मिले थे वहां कोई काग्ज नहीं था तो उन्होंने निर्मल के हाथ पर ही होटल का नंबर लिख दिया था। इसके बाद साल 1958 में दोनों फिर मिले। हालांकि दोनों की प्रेमकहानी सन 1960 को शुरू हुई जब वह दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में मिले थे उस समय तक मिल्खा काफी नाम कमा चुके थे। दोनों शादी का मन बना चुके थे लेकिन शादी में काफी परेशानी आई। उस समय पंजाब के मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों मदद के लिए आगे आए जिन्होंने दोनों के परिवार से बात की। साल 1962 में दोनों शादी के बंधन में बंध गए।
मिल्खा सिंह ने अपनी पत्नी को ही सबसे बड़ी ताकत मानते थे जिन्होंने उनके बच्चों का पूरा ख्याल रखा। वह खुद केवल 10वीं पास थे लेकिन उनकी गैर-मौजूदगी में निर्मल ने उनके बच्चों की पढ़ाई घर परिवार की हर जिम्मेदारी को निभाया। बता दें कि मिल्खा सिंह की एक बेटी डॉक्टर व बेटा दिग्गज गोल्फर जीव मिल्खा सिंह हैं। लेकिन मिल्खा सिंह निर्मल से पहले भी किसी के प्यार में पड़े थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि 1956 में ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न ओलंपिक के दौरान वह बेट्टी कथबर्ट से मिले थे। 18 साल की एथलीट बेट्टी को मिल्खा की पग से प्यार हो गया था। मिल्खा ने बताया कि अगले दिन बेट्टी ने उनसे कहा कि वह उनके लिए भी पग बांध दे। बेट्टी ने मिल्खा का दिल जीत लिया था।
1960 में दोनों फिर इन्हीं ओलिंपिक खेलों के दौरान मिले लेकिन इसके बाद मुलाकात का ना हो पाई। साल 2006 में कॉमनवेल्थ गेम्स मेलबर्न में हुए। मिल्खा ने बेट्टी को फोन किया तो उनके बेटे ने फोन उठाया और वो मिल्खा को पहचान गए। तब उन्हें पता चला कि कैंसर के कारण बेट्टी की मौत हो गई। हालांकि मिल्खा की पग को बेट्टी ने मरते दम तक संभाल कर रखा था। वहीं मिल्खा सिंह की पहली मोहब्बत उनके गांव की एक लड़की थी। मिल्खा सिंह की जिंदगी पर बनी फिल्म में उस लड़की का किरदार सोनम कपूर ने निभाया था। फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह ने जीवन के हर पहलू में संघर्ष किया लेकिन कभी हिम्मत और हौंसला नहीं छूटने दिया। यह नाम देशभर में हमेशा याद किया जाएगा।