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इंसानियत ऐसी भी...लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रहीं लक्ष्‍मी गौतम

  • Edited By Janvi Bithal,
  • Updated: 07 Jul, 2020 05:00 PM
इंसानियत ऐसी भी...लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रहीं लक्ष्‍मी गौतम

लोगों का मानना है कि आजकल लोग स्वार्थी हो गए हैं और आज कल रिश्ते खत्म होते जा रहे हैं। सब जानते हैं कि इस समय कोरोना काल चल रहा है और आप ने ये खबरें भी बहुत देखी होगीं कि अगर किसी परिवार में कोरोना से किसी की मौत हो जाए तो बहुत से लोग अपने परिवार के उस सदस्य का अंतिम संस्कार तक नहीं करते हैं और उनके लावारिस शव कितने दिन यूं ही पड़े रहते हैं लेकिन इस दुनिया में आज भी कहीं न कहीं इंसानियत जिंदा है और आज भी लोगों के दिल में रहम भाव है इस बात का साफ उदाहरण है वृंदावन में रहने वाली डॉ. लक्ष्मी गौतम। 

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जहां आज के समय में लोग अपने ही परिवार के शवों को लावारिस छोड़ देते हैं वहीं लक्ष्मी गौतम ने इस मामले में एक अलग ही उदाहरण पेश की है। लक्ष्मी ने अनजान लोगों के साथ एक रिश्ते की डोर को जोड़ा और वो उन लावारिस लोगों की लाशों का अंतिम संस्कार खुद अपने हाथों से करती हैं। 

खबर मिलते ही मदद के लिए पहुंच जाती है 

 जब भी लक्ष्मी को ऐसी किसी खबर के बारे में पता चलता है तो वो ज्ल्द ही मदद के लिए तैयार हो जाती हैं और उन बेसहारा शवों का सहारा बन कर उन्हें खुद अपने हाथों से अग्नि देती हैं। 

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ऐसे शुरू किया ये नेक काम 

इस काम को शुरू करने की प्रेरणा लक्ष्मी को तब मिली जब साल 2011 में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने आश्रय सदनों में रहने वाली निराश्रित महिलाओं पर सर्वे किया और आप ये सुन कर हैरान रह जाएंगे कि जिन महिलाओं का कोई नहीं होता है उनके शव बोरे में डालकर यूं ही लावारिस छोड़ दिए जाते हैं। इसी रिपोर्ट को जब लक्षमी ने देखा तो वो हैरान रह गई और उसके बाद उसने ठाना कि वो इन लावारिसों के शव को खुद मुखाग्नि देंगीं। वहीं इस काम में उनका पूरा परिवार  भी पूरा साथ देता है। 


पहले महिलाओं का करती थी अंतिम संस्कार

वहीं आपको बता दें कि लक्ष्मी पहले सिर्फ महिलाओं का ही अंतिम संस्कार करती थी लेकिन फिर इसके बाद उसने पुरुषों का अंतिम संस्कार भी करना शुरू कर दिया। 


कर चुकी हैं 300 शवों का अंतिम संस्कार

लक्ष्मी बीते 8 सालों में तकरीबन 300 शवों को मुखाग्नि दे चुकी हैं। इतना ही नहीं लॉकडाउन में भी वो 7 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर चुकी हैं। अब आप ये भी सुनकर हैरान हो जाएंगे कि लक्ष्मी इस सारे काम के लिए किसी से आर्थिक मदद भी नहीं लेती हैं। 

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चलाती हैं कनकधारा फाउंडेशन 

इतिहास व संस्कृति पढ़ाने वाली डॉ. लक्ष्मी गौतम कनकधारा फाउंडेशन चलाती हैं। यह फाउंडेशन घायलों के लिए एंबुलेंस भी चलाता है। 
 

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