देश भर में त्योहारों की धूम है। बहुत जल्द सुहागिन महिलाओं का खास पर्व करवाचौथ भी आने वाला है। इस साल करवाचौथ 1 November को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को पूजा करके चांद देखकर व्रत खोलती हैं। लेकिन क्या आपको पता है देश में एक ऐसा मंदिर भी है जहां करवाचौथ के दिन महिलाएं व्रत माथा टेके तो सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।ये मंदिर है राजस्थान का चौथ माता मंदिर। करवाचौथ के दिन यहां सुहागिनों का बड़ा सैलाब उमड़ता है। आइए आपको बताते हैं इस मंदिर के बारे में विस्तार में....
700 साल पुरान है चौथ माता मंदिर
कहते हैं कि ये मंदिर 700 साल पुराना है। अरावली की पहाड़ी पर 1000 फीट की ऊंचाई में बना ये मंदिर सुहागिनों महिलाओं की आस्था का केंद्र है। ये देश के 108 तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। बात दें इस यहां दर्शन के लिए 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इस मंदिर में मां गौरी की पूजा पूरी विधि- विधान के साथ की जाती है। मां गौरी के साथ गणेश और उनके बाल स्वरूप में विराजने से इसका महत्व ओर भी बढ़ जाता है।
भीम सिंह ने सपना देखकर की थी मंदिुर की स्थापना
मान्यता है कि बरवाड़ा के उतरी छोर पर 1000 फीट उंची पहाड़ी पर इसकी स्थापाना साल 1451 में राजा भीम सिंह ने एक सपना देखने के बाद की थी। कहते हैं कि 570 साल पहले आदिशक्ति चौथ भवानी को पहाड़ों की चोट पर माघ कृष्ण चतुर्थी को विधि- विधान से स्थापित किया था और तभी से लेकर आज तक करवाचौथ के दिन यहां माता लक्खी का मेला लगता है। वहीं यहां पर रहने वाले लोग भी किसी शुभ काम से पहले चौथ माता के निमंत्रण देते हैं। प्रगाढ़ आस्था के चलते बूंदी राजघराने के समय से इसे कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है।