आज सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में पॉपुलेशन काफी बढ़ गई है। यही नहीं, बढ़ती ओवरपॉपुलेशन के कारण प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। नतीजन एक समय ऐसा आएगा जहां सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में भारतीय कपल्स बच्चे को जन्म ना देने का निर्णय ले रहे हैं। दरअसल, वह बच्चे को ऐसी दुनिया में नहीं लाना चाहते जहां ना सिर्फ वातावरण खराब है बल्कि लोग तनावभरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं। ऐसी विचारधारा वाले लोगों को एंटीनेटलिज्म कहा जाता है।
भारत में बढ़ रहा Antinatalism
Antinatalism एक ऐसी फिलॉसफी है, जो अभ भारत में भी धीरे-धीरे अपनी पकड़ जमा रही है। ऐसे लोगों का मानना है कि अब किसी को भी बच्चे पैदा नहीं करने चाहिए। वहीं, कुछ कपल्स तो ऐसे भी हैं, जो खुद के बच्चे करने की बजाए गोद लेने की ऑप्शन चुन रहे हैं... लेकिन क्यों? दरअसल, ऐसी विचारधारा वाले लोगों का मानना है कि धरती पर पहले से काफी बोझ है और दुनिया में उतने रिसोर्सेज नहीं बचे हैं। ऐसे में बच्चे को जन्म देकर जिंदगी का बोझ उनपर डालना गलत है। ये अनैतिक है। ऐसी दुनिया में बच्चे को लाना गलत होगा, जहां हम उन्हें कभी भी संरक्षण की गारंटी नहीं दे सकते।
खराब पर्यावरण है कारण
भारत हर दिन पर्यावरण, जीवनशैली, पानी की कमी, प्रदूषण का स्तर, प्राकृतिक संसाधनों की कमी से जुड़ी समस्याओं को लेकर सुर्खियां में रहता है। कई रिपोर्टों में कहा गया है कि यह सब ओवरपॉपुलेशन से उपजा है। हर कोई इस बात से सहमत है कि पर्यावरणीय मुद्दों से निपटने की आवश्यकता है। मगर, क्या हम अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए कोई प्रयास कर रहे हैं? क्या हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्याप्त कुछ छोड़ने के लिए प्रयास कर रहे हैं? इस विचारधारा को ऐंटिनेटलिजम यानी प्रजननवाद विरोधी माना जाता है।
कहां से आई यह विचारधारा?
हालांकि एंटीनेटलिज्म यानि प्रजननवादी विरोधी कोई नई विचारधारा नहीं है। बेल्जियम का प्रसिद्ध लेखक और दार्शनिक दिउफिल डे जिरू (Théophile de Giraud) इस विचारधारा को दुनिया में लेकर आए। 19 नवंबर, 1968 को बेल्जियम में जन्मे दिउफिल ने इस विचारधारा पर L'art de guillotiner les procréateurs: Manifeste anti-nataliste किताब भी लिख चुके हैं, जिसमें पहली बार एंटि नेटलिस्ट शब्द का इस्तेमाल किया गया। एंटीनेटलिस्ट लोगों का मानना है कि यह धीरे-धीरे मानव जाति को समाप्त कर देगा।
आजकल लोग अनुशासित जीवन जीकर हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए कुछ छोड़ना चाहते हैं और उनका मानना है कि हर किसी को ऐसा ही करना चाहिए। इंसान ज्यादा बच्चे पैदा करके धरती के दूसरे लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं। बचे साधनों को बाकी इंसानों के लिए छोड़ देना चाहिए, ताकि जलवायु और पर्यारण में परिवर्तन आ सके। अगर बच्चे पैदा ही नहीं होंगे तो उन्हें भी किसी संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।