नारी डेस्क: रक्षाबंधन के दिन नागपुर जिले से एक ऐसी दर्दनाक और इंसानियत को झकझोर देने वाली घटना सामने आई, जिसने पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया। एक सड़क हादसे में पत्नी की मौत हो जाने के बाद जब किसी ने भी मदद नहीं की, तो मजबूर पति को अपनी पत्नी के शव को बाइक पर बांधकर ले जाना पड़ा। यह घटना नागपुर जिले के देवलापार थाना क्षेत्र के मोरफटा इलाके की है। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के रहने वाले अमित यादव और उनकी पत्नी ग्यारसी देवी पिछले 10 सालों से नागपुर के पास कोराडी इलाके में रह रहे थे। रक्षाबंधन के दिन, अमित अपनी पत्नी को लेकर लोनारा से देवलापार होते हुए करणपुर जा रहे थे। तभी नागपुर-जबलपुर नेशनल हाईवे पर उनकी बाइक को एक तेज़ रफ्तार ट्रक ने जोरदार टक्कर मार दी। इस हादसे में ग्यारसी देवी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अमित को हल्की चोटें आईं।
मदद की लगाई गुहार, लेकिन कोई नहीं रुका
हादसे के बाद अमित ने वहां से गुजरने वाले वाहनों और राहगीरों से मदद की गुहार लगाई। वो बार-बार लोगों से शव को गांव तक ले जाने में मदद मांगते रहे, लेकिन किसी ने न तो गाड़ी रोकी और न ही कोई सहायता दी। कई लोग देखकर भी अनदेखा करते रहे।
शव को बाइक पर बांधकर निकल पड़ा अकेला पति
जब कोई मदद नहीं मिली, तो मजबूरी में अमित ने अपनी पत्नी के शव को बाइक पर बांधा और अकेले ही गांव (सिवनी, मध्य प्रदेश) की ओर निकल पड़ा। यह दृश्य दिल दहला देने वाला था बाइक के पीछे एक महिला का शव बंधा हुआ था, और पति अकेला सड़क पर सफर कर रहा था।
वीडियो हुआ वायरल
इस पूरी घटना का वीडियो एक गाड़ी में पीछे चल रहे शख्स ने रिकॉर्ड कर लिया, जिसमें देखा जा सकता है कि लोग उसे रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अमित किसी की बात नहीं सुन रहा और बाइक की रफ्तार बढ़ा देता है। शुरुआत में किसी को समझ नहीं आया कि आखिर बाइक पर ऐसा क्या बंधा है, लेकिन जब वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो सच्चाई सामने आई।
पुलिस ने शव को लिया कब्जे में
आगे जाकर हाईवे पेट्रोलिंग पुलिस ने अमित को रोका और पूरी बात जानने के बाद शव को अपने कब्जे में लिया। इसके बाद शव को नागपुर के मेयो अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
यह घटना क्यों सोचने पर मजबूर करती है?
इस घटना ने समाज में इंसानियत की गिरती संवेदनशीलता को उजागर किया है। जहां एक शख्स अपनी पत्नी की मौत के बाद टूट चुका था, वहीं वहां से गुजरते सैकड़ों लोगों में से कोई भी मदद के लिए नहीं रुका। यह सिर्फ़ एक सड़क हादसा नहीं, बल्कि इंसानियत का भी एक बड़ा हादसा है।

हमारा सवाल समाज से
जब कोई ज़रूरत में हो, तो क्या हम सिर्फ मूक दर्शक बनकर रह जाएंगे? क्या हम इतनी संवेदनहीनता में जीने लगे हैं कि एक शव को देखकर भी दिल नहीं पसीजता? अमित की यह कहानी सिर्फ़ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस पूरे सिस्टम और समाज की है जो मदद करने से पहले सोचना शुरू कर देता है। आज ज़रूरत है कि हम फिर से इंसान बनने की कोशिश करें, क्योंकि कल को यह स्थिति हमारे या आपके साथ भी हो सकती है।