13 JANMONDAY2025 10:28:38 PM
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भगवान राम ने मकर संक्रांति पर की थी पतंगबाजी की शुरूआत, सीधा इंद्रलोक पहुंची थी उनकी पतंग

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 13 Jan, 2025 04:49 PM
भगवान राम ने मकर संक्रांति पर की थी पतंगबाजी की शुरूआत, सीधा इंद्रलोक पहुंची थी उनकी पतंग

नारी डेस्क: पौष मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। लोहड़ी के अगले दिन आने वाले इस त्योहार को लेकर लोगों में एक अलग ही उत्साह होता है। इस दिन घर पर तरह-तरह के व्यंजन बनाने के अलावा, लोग रिश्तेदारों और मोहल्ले के साथ पतंगबाजी भी करते हैं। पतंग उड़ाने की परंपरा इस त्योहार में आनंद और उल्लास बढ़ाने के लिए की जाती है, लेकिन ये बात बेहद कम लोग जानते होंगे कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का संबंध प्रभु श्री राम से है। 

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सीधे स्वर्ग लोक पहुंची थी भगवान राम की पतंग

धार्मिक मान्यता अनुसार मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने के परंपरा की शुरुआत भगवान राम ने की थी। माना जाता है कि इस दिन  पतंग को हवा में उड़ाकर छोड़ देने से सारे क्लेश समाप्त हो जाते हैं। तमिल के तन्दनान रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम ने मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा शुरू की थी। बताया जाता है कि जो पतंग भगवान राम ने उड़ाई थी, वह सीधे स्वर्ग लोक पहुंच गई थी। 

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इंद्र के पुत्र जयंत को मिली थी पतंग

स्वर्ग लोक में पतंग इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी को मिली। उनको पतंग काफी पसंद आई और उसको अपने पास रख लिया। उधर भगवान राम ने हनुमानजी को पतंग लाने के लिए भेजा। जब हनुमानजी ने जयंत की पत्नी से पतंग वापस करने के लिए कहा, तब उन्होंने भगवान राम के दर्शन की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि दर्शन के बाद ही वह पतंग वापस करेंगी। उनकी इच्छा जानने के बाद भगवान राम ने कहा कि वह मेरे दर्शन चित्रकूट में कर सकती है। हनुमानजी ने स्वर्ग लोक में जयंत की पत्नी को भगवान राम का आदेश दिया, जिसके बाद उन्होंने पतंग वापस कर दी।

PunjabKesariमकर संक्रांति को जाना जाता है इन नामाें से

मान्यता है इस दिन से ही मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा चली आ रही है। वहीं इस पावन पर्व परपवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि करने से पुण्य हजार गुना हो जाता है। बता दें कि  दक्षिण भारत में इस त्यौहार को पोंगल के रूप में मनाया जाता है।  मध्य भारत में इसे संक्रांति कहा जाता है। इसे आंध्र प्रदेश में पेद्दा पांडुगा, कर्नाटक और महाराष्ट्र में मकर संक्रांति, तमिलनाडु में पोंगल, असम में माघ बिहू, मध्य और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में माघ मेला, पश्चिम में मकर संक्रांति और अन्य नामों से जाना जाता है। मकर संक्रांति को उत्तरायण, माघी, खिचड़ी आदि नाम से भी जाना जाता है।

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