हर साल आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से जगन्नाथ रथ की यात्रा शुरु होती है। जिसके बाद 11 वें दिन जगन्नाथ जी वापस आते हैं और इसी के यात्रा खत्म होती है। साल 2023 में जगन्नाथ रथ यात्रा 20 जून से शुरु होने जा रही है। इस रथ यात्रा के शुरु होने से पहले कुछ परंपराएं निभाई जाती हैं जिसकी शुरुआत ज्येष्ठ महीने से ही हो जाती है। इस दिन जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और उनके बड़े भाई बलराम को स्नान करवाया जाता है। वहीं स्नान के बाद तीनों देवों को पारंपरिक रुप से बीमार ही समझ जाता है और उन्हें राज वैद्य की की देखरेख में एकांत वास में रखा जाता है। वहीं इस दौरान उन्हें सिर्फ काढ़े का ही भोग लगाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, आयुर्वेदिक दवाई से सिर्फ 15 दिनों में ही भगवान जगन्नाथ ठीक हो जाते हैं और इसके बाद रथ यात्रा शुरु होती है। लेकिन वह बीमार क्यों होते हैं और उन्हें एकांतवास में क्यों रखा जाता है आज आपको इसके बारे में बताएंगे...
इसलिए होते हैं भगवान जगन्नाथ बीमार
ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा तिथि वाले दिन भगवान जगन्नाथ जी को बलभद्र जी और सुभद्रा जी को 108 घड़ों के जल के साथ नहलाया जाता है। इस स्नान को सहस्त्रधारा स्नान भी कहते हैं। माना जाता है कि 108 घड़ों के ठंडे जल से नहाने के कारण बलभद्र जी, सुभद्रा जी तीनों बीमार हो जाते हैं इसलिए उन्हें एकांतवास में रखा जाता है। इस दौरान मंदिर के कपाट भी नहीं खोले जाते हैं।
इस तरह करते हैं भक्त भगवान के दर्शन
बीमार होने के बाद 15 दिनों के लिए भगवान जगन्नाथ के बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ एकांतवास में रहते हैं वहीं इस दौरान भक्त उन सभी के दर्शन नहीं कर पाते। ऐसे में इस समय भक्तों को दर्शन करवाने के लिए केवल उनकी छवि दिखाई जाती है वहीं ठीक होने के बाद तीनों बाहर आते हैं और भव्य यात्रा निकाली जाती है। इस रथ यात्रा में शामिल होने के लिए लोग कोने-कोने से यहां पर पहुंचते हैं।
ऐसे किया जाता है सभी का इलाज
15 दिनों तक एकांतवास में रहने के कारण उनका इलाज अच्छी तरह से किया जाता है ठीक उसी तरह जैसे आम लोगों का इलाज होता है वैसे ही भगवान जगन्नाथ का इलाज किया जाता है। भगवान को आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां और काढ़े का ही भोग लगाया जाता है जैसे ही भगवान पूरी तरह स्वस्थ हो जाएं तो वह भक्तों को दर्शन देते हैं और भव्य रथयात्रा निकाली जाती है।
बड़े भाई और बहन के साथ रहते हैं भगवान जगन्नाथ
उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नात मंदिर भारत के चार पवित्र धामों में से एक माना जाता है। यहां पर भगवान श्री जगन्नाथ कृष्ण जगन्नाथ के नाम से विराजमान हैं। इसके अलावा उनके साथ उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा भी रहते हैं। इस मंदिर में देवों की प्रतिमाएं काष्ठ से बनी हुई हैं।