मां बनने का सपना वैसे तो हर महिला का होता है, लेकिन ये सुख हर किसी को नहीं मिलता। जिसके चलते लोग जहां लोग बच्चे adopt भी करते हैं, साथ ही आजकल surrogacy भी आम है। Surrogacy यानी की किराए की कोख। इसमें दूसरी महिला की कोख में बच्चा पलता है। ऐसे में अगर कोई महिला मां नहीं बन सकती हैं, उसकी गोद भी Surrogacy के जरिए भर जाती है। पर क्या ये प्रोसेस इतना आसान है? बिल्कुल भी नहीं। ये बात हम नहीं कह रहे बल्कि इस प्रोसेस के जरिए मां बनना चाह रही 32 साल की सुषमा की जुबानी है। दरअसल, सुषमा 3 साल पहले गर्भाशय में कैंसर- पूर्व की स्थिति से जूज रही थीं, जिसके बाद उन्होंने हिस्टेरेक्टॉमी की सर्जरी करवाई थी। नतीजा ये हुआ की वो इस सर्जरी के बाद प्रेग्नेंट नहीं हो पाई। उन्होंने सरोगेसी के जरिए मां बनने की चाह में मुंबई के एक पॉश आईवीएफ क्लिनिक में अपने पति संग दाखिला लिया।
कोविड के बाद आया सरोगेसी के नियमों में बदलाव
लेकिन इसके बाद कोविड की लहर आ गई और सरकार ने सरोगेसी को लेकर नए नियम बना दिए। जिसके बाद से नए नियमों के लागू होने में देरी के कारण से सुषमा कभी तर सरेगेट मदर नहीं ढूंढ पाई है। केंद्र सरकार ने बिचौलियों द्वारा सरोगेसी के बड़े पैमाने पर व्यावसायीकरण और शोषण को रोकने के लिए 25 जनवरी 2022 को सरोगेसी अधिनियम 2021 लागू किया। लेकिन पिछले 23 महीनों में ज्यादातर राज्यों ने अभी तक इस नए कानून को लागू नहीं किया था और उपयुक्त प्राधिकारी की स्थापना 5 अक्टूबर को की गई थी। आईवीएफ डॉक्टरों के साथ काम करने वाले वकील कार्तिक गुप्ता का कहना है कि दिल्ली के अधिकारियों ने अब तक 30 सरोगेट्स को हरी झंडी दे दी है। आईवीएफ एक्सपर्ट्स का कहना है कि मुंबई सहित महाराष्ट्र में, अब तक एक भी जोड़ा सभी अनुमतियां प्राप्त करने में कामयाब नहीं हुआ है।
सरोगेसी के नियमों को सरल करने की जरूरत
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि सेरोगसी की प्रोसेस को शुरु करने में देरी का सबसे बड़ा कारण कई चरणों पर approval की जरूरत होती है। हर शहर का हर departments अलग तरीके से काम करते हैं। सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम 2021 के तहत, कागजी कार्रवाई कठिन है क्योंकि इसमें जिला या नगरपालिका अधिकारियों से कई प्रमाणपत्र प्राप्त करना, सरोगेट के लिए एक मजिस्ट्रेट से मंजूरी और एक नई स्थापित केंद्रीय एजेंसी से अंतिम मंजूरी लेना शामिल है। सीधी भाषा में कहा जाए तो नियमों को सरल बनाने की जरूरत है।
कागजी काम निपटने के बाद भी इंतजार हुआ लंबा
महाराष्ट्र में, प्रबोध और सुषम जैसे सरोगेसी अपनी कागजी काम निपटाने में कामयाब हो जाने के बाद भी, इंतजार कर रहे हैं क्योंकि सरोगेसी क्लीनिकों का सरकारी प्रमाणीकरण अभी तक शुरू नहीं हुआ है। नए अधिनियम के अनुसार, सरोगेसी केवल प्रमाणित क्लीनिकों द्वारा ही की जा सकती है। दरअसल, मुंबई क्षेत्र में, सरोगेसी क्लीनिकों को प्रमाणित करने का काम ठाणे अधिकारियों को सौंपा गया है। ये काम अभी तक शुरु नहीं हुआ है।