‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' के विजेताओं के लिए मंगलवार को दिन कई मायनों में खास था। उनके साथ देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ना सिर्फ बात की बल्कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी धारणाओं से निपटने तथा बच्चों को होने वाली समस्याओं जैसे मुद्दों पर चर्चा की। साथ ही इस बच्चों को सुझाव दिया कि वे जीवन में आगे बढ़ने के साथ ही बड़ी समस्याओं को हल करने के लिए आत्मविश्वास विकसित करें।
पुरस्कार विजेता बच्चों ने मोदी से उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में विभिन्न प्रश्न पूछे और विभिन्न विषयों पर उनका मार्गदर्शन मांगा। प्रधानमंत्री और बच्चों की यह मुलाकात प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर हुई। इस दौरान प्रधानमंत्री ने सभी पुरस्कार विजेताओं को स्मारिका प्रदान की और उनकी उपलब्धियों पर एक-एक से चर्चा की। इसके बाद उन्होंने पूरे समूह के साथ बातचीत की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने शतरंज खेलने के लाभ, कला और संस्कृति को करियर के रूप में अपनाने, अनुसंधान और नवाचार, आध्यात्मिकता सहित कई अन्य विषयों पर भी चर्चा की। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 5 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को छह श्रेणियों - कला और संस्कृति, बहादुरी, नवाचार, शैक्षिक, सामाजिक सेवा और खेल में उनकी उत्कृष्टता के लिए प्रदान किये जाते हैं।
इस वर्ष 11 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के 11 बच्चों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सोमवार को कला और संस्कृति, बहादुरी, नवाचार, सामाजिक सेवा और खेल की श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान किए गए। ग्यारह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित पुरस्कार विजेताओं में आदित्य सुरेश, एम गौरवी रेड्डी, श्रेया भट्टाचार्जी, संभब मिश्रा, रोहन रामचंद्र बहिर, आदित्य प्रताप सिंह चौहान, ऋषि शिव प्रसन्ना, अनुष्का जॉली, हनाया निसार, कोलागतला अलाना मीनाक्षी और शौर्यजीत रंजीतकुमार खैरे शामिल हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने इन बहादुर बच्चों की सराहना करते हुए कहा- ‘‘आदित्य सुरेश पर गर्व है, जिन्होंने प्रतिरोध की उल्लेखनीय शक्ति दिखाई है। उन्हें हड्डी विकार का पता चला था, लेकिन वह मनोबल कम करने वालों में से नहीं हैं। उन्होंने गायन जारी रखा और आज वह एक प्रतिभाशाली गायक हैं। उन्होंने 500 से अधिक कार्यक्रमों में प्रस्तुति दी है।' इसके साथ उन्होंने कहा- ‘‘मुझे रोहन रामचंद्र बहिर पर गर्व है, जिन्होंने नदी में कूदकर एक महिला को डूबने से बचाया। उन्होंने बड़ी बहादुरी और निडरता का प्रदर्शन किया। उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित होने पर बधाई। उनके भविष्य के प्रयासों के लिए उन्हें शुभकामनाएं।'' प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक पदक, एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार और एक प्रमाण पत्र दिया जाता है।
वहीं प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेताओं के अपनी जिंदगी में हासिल करने के लिए अलग अलग आकांक्षाएं और लक्ष्य हैं। इनमें से कोई मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना चाहती है तो कोई विलुप्त होती नृत्य शैलियों को बचाना चाहती है तो किसी को जीव विज्ञान में शोध करना है। 18 वर्षीय एम गौरवी रेड्डी कुचिपुड़ी नृत्य शैली में निपुण नृत्यांगना हैं। उन्होंने अपनी भावी योजना के बारे में बातचीत करते हुए कहा कि वह विलुप्त हो रही विभिन्न नृत्य कला शैलियों में शोध करना चाहती हैं और युवा पीढ़ी को उन्हें सिखाकर उन्हें संरक्षित करने के तरीकों पर गौर करना चाहती हैं। रेड्डी ने कहा- “कई भारतीय नृत्य शैलियों को भुलाया जा रहा है। मैं उन्हें पुनर्जीवित करना चाहती हूं और उन्हें फलने-फूलने में मदद करने के तरीकों की तलाश के लिए उन पर शोध भी करना चाहती हूं।” रेड्डी को 'कला और संस्कृति' श्रेणी में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है।
वहीं अनुष्का जॉली के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना सबसे महत्वपूर्ण है और इसी को वह अपने जीवन का मिशन बनाना चाहती हैं। उन्होंने कहा, “मैं मनोविज्ञान में डिग्री हासिल करना चाहती हूं और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समाधान सभी के लिए आसानी से उपलब्ध हों, उस दिशा में काम करना चाहती हूं।” उन्हें "एंटी-बुलिंग स्क्वाड कवच" नामक एप्लिकेशन विकसित करने के लिए 'नवाचार' श्रेणी में सम्मानित किया गया है। ये ऐप पिछले चार वर्षों से विद्यार्थियों को मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित परामर्श प्रदान कर रहा है।
नौ वर्षीय ऋषि शिव प्रसन्न पांच साल की उम्र से ही कोडिंग सीख रहे हैं। उनकी मां रेचू के मुताबिक, उनका आईक्यू स्तर 180 है और वह 'सबसे कम उम्र का प्रमाणित एंड्रॉइड एप्लिकेशन डेवलपर' है। प्रसन्न ने कहा कि उनकी जीव विज्ञान में काफी रूचि है और इस क्षेत्र में वैज्ञानिक बनना चाहते हैं। बेंगलुरु के रहने वाले प्रसन्न ने कहा कि उन्होंने विज्ञान पर एक किताब भी लिखी है जिसे उन्होंने महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी के साथ साझा किया है।