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बच्चों को भी कैंसर का खतरा, ये लक्षण दिखते ही हो जाएं सतर्क

  • Edited By neetu,
  • Updated: 13 Feb, 2021 06:22 PM
बच्चों को भी कैंसर का खतरा, ये लक्षण दिखते ही हो जाएं सतर्क

आज दुनियाभर में कैंसर जैसा गंभीर रोग तेजी से अपने पैर पसार रहा है। बड़ों के साथ बच्चे भी इसकी चपेट में तेजी से आ रहे हैं। ऐसे में बच्चों की मौत होने का एक सबसे बड़ा कारण कैंसर है। एक रिसर्च के अनुसार, हर साल नवजात से 18 साल की उम्र तक 40 से 50 हजार तक नए केस आते हैं। साथ ही इनमें से बहुत मामले तो डायग्नोस भी नहीं हो पाते हैं। असल में, बच्चों में कैंसर के लक्षण जल्दी नहीं पता चलते हैं। ऐसे में वे इस गंभीर बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। मगर कहीं बच्चे के शरीर में कुछ बदलाव दिखने पर इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, समय रहते इसके लक्षणों पर गौर करके इस गंभीर बीमारी का इलाज संभव है। ऐसे में ही लोगों को इसके प्रति जागरूक करवाने के लिए हर साल 15 फरवरी को 'International Childhood Cancer Day' मनाया जाता है। ताकि इस बच्चों को इस गंभीर बीमारी की चपेट में आने से बचाया जा सके।

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बच्चों में कैंसर के लक्षण पहचानने में देरी का कारण-

बच्चों को बड़ों की तुलना में साकोर्मा और एंब्रायोनल ट्यूमर होने का खतरा अधिक रहता है। साथ ही बड़ों को होने वाले कैंसर के लक्षण बच्चों में बहुत कम दिखाई देते हैं। असल में, इस गंभीर बीमारी होने पर एपिथेलियल टिश्यू की भूमिका नहीं होती है। ऐसे में इन्हें शरीर से खून के बहने की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। ना ही एपिथेलियल कोशिकाएं (शरीर का सुरक्षा कवच) बाहर पपड़ी की तरह उभरती है। मगर फिर भी बच्चे के शरीर में कुछ लक्षण दिखने पर कैंसर होने की आशंका जताई जा सकती है। 

तो चलिए जानते हैं उन लक्षणों के बारे में...

एक्सपर्ट्स के अनुसार, बच्चों में आमतौर पर ल्यूकेमिया, लिंफोमा और मस्तिष्क या पेट में ट्यूमर आदि कैंसर होने की संभावना रहती है। ऐसे में  इन लक्षणों को ध्यान में रखकर बच्चों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आने से बचाया जा सकता है।

- सुबह के समय बच्चे का दिल खराब होना व उल्टी करना।  

- हड्डियों में दर्द होने से रात को सोने में मुश्किल आना। 

- शरीर व आने पर पीलापन बढ़ना, बिना वजह चोट के निशान, नाक या मुंह से खून बहना। 

- शरीर में कमजोरी होने से किसी भी चीज को उठाने में दिक्कत होना। साथ ही अचानक से बच्चे का लंगड़ाकर चलना। 

- बच्चे को पीठ दर्द की शिकायत होना। 

- बिना किसी कारण लगातार बुखार, सर्दी, खांसी आदि बीमारी की चपेट में आना। 

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- कंधे की हड्डी के ऊपरी हिस्से में गांठ पड़ जाना।

- टीबी रोग के कारण शरीर में पड़ी गांठें जो इलाज होने के बाद भी बेअसर लगे। 

- पेट, जांघ व कांख के बीच के हिस्से में बिना किसी क्रम में गांठ या सूजन होना।  साथ ही एंटीबायोटिक देने के बाद भी गांठ का आकार कम ना हो तो यह चिंता का विषय है। 

- अगर बच्चा 15 दिनों से ज्यादा सिर में दर्द की शिकायत करें तो ऐसे में डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। 

- चलने में परेशानी होना। 

- शरीर के साथ आंखों भी कमजोर होना। ऐसे में आंखों की रोशनी कमजोर होने के साथ सफेद परछाई दिखाई देना या भेंगापन के शुरूआती लक्षण महसूस होना। 

- अचानक से वजन बढ़ने की समस्या होना। खासतौर पर पेट, गर्दन, हाथ-पैर व सिर पर अधिक चर्बी जमा होना। 

- बच्चे के स्वभाव में उदासी, चिड़चिड़ापन रहना। 

- बच्चे का किसी बात पर ध्यान ना लगना। साथ ही दवाओं को खाने से भी उसका असर ना होना। 

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