सिक्खों के 9 वें गुरू साहिब श्री गुरू तेग बहादुर जी का आज प्रकाश पर्व है। हिंद की चादर माने जाने वाले गुरू साहिब जी का सारा जीवन दूसरों के दुख दूर करने में समर्पित था। जिस वक्त गुरू साहिब इस धरती पर मौजूद थे, उस वक्त के भारतीय मुग्ल शासक औरंगजेब ने लोगों पर अत्याचार करने जारी किए हुए थे। औरंगजेब हिंदू धर्म के लोगों को जबरदस्ती मुस्लिम बनाना चाहता था। फिर एक दिन जब कुछ कश्मीरी पंडित गुरू साहिब के पास अपनी परेशानी लेकर आए तो गुरू जी ने खुद चलकर मुग्ल शासक से बात करने की ठानी।
मुग्ल शासक औरंगजेब बेहद जालिम शासक था, उसने गुरू साहिब की हर बात को मना करके अन्य लोगों की तरह उन्हें भी दीन मानने की सलाह दी। जब गुरू साहिब ने इस बात का विरोध किया तो औरंगजेब ने गुरू साहिब का सीस यानि धड़ कलम करने का हुकुम जारी कर दिया। इसके अलावा भी उसने गुरू साहिब पर बहुत जुल्म किए। मगर हिम्मत न हारते हुए गुरू जी ने उसके हर जुल्म का मुंह तोड़ जवाब दिया।
गुरू साहिब की शहीदी से जुड़ी सभी गाथाएं आपको दिल्ली के सीसगंद गुरूद्वारा साहिब में मिल जाएंगी। गुरू जी ने अपने पूरे जीवन के दौरान मौन धारण किया। गुरू तेग बहादुर जी बहुत कम बोला करते थे। गुरू साहिब के केवल एक ही पुत्र थे, जो आगे चलकर सिक्खों के दसवें गुरू बने। अपने पिता जी की तरह गुरू गोबिंद सिंह जी ने भी कभी किसी की गलत बात को नहीं सहा। उन्होंने हर गलत इंसान के खिलाफ आवाज उठाई। गुरू तेग बहादुर जी की कुरबानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि भले हमारे प्राण चलें जाएं, मगर अपने और दुनिया के साथ हो रहे जुलम के खिलाफ हमें आवाज जरूर उठानी चाहिए, फिर चाहे उसके लिए हमें अपनी जान की बाजी लगा देनी पड़े।