आज दुनियाभर में नो स्मोकिंग डे मनाया जा रहा है। सिरगेट पीने से शरीर को कई नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। मगर एक्सपर्ट अनुसार, धूम्रपान करने के साथ सेकंड हैंड स्मोक भी सेहत को नुकसान पहुंचाने का काम करती है। बता दें, स्मोक गर्म कणों, धुंआ, गैस आदि का मिश्रण होता है। एक रिपोर्ट अनुसार, आग से निकलने वाले धुएं से जान जाने का खतरा भी रहता है। इसके कारण फेफड़ों के कैंसर, अस्थमा, श्वसन संक्रमण जैसी बीमारियों की चपेट में आने का खतरा रहता है। बता दें, स्मोक कारखाने, सिगरेट पीने वालों, रसोई घर व अन्य किसी भी स्थान पर हो सकता है। इस जहरीले धुएं के संपर्क में आने वाली स्थिति स्मोक एक्सपोजर कहलाती है। इस धुएं के शरीर में जाने से ऑक्सीजन की कमी हो सकती हैं। इसके साथ ही इन धुओं के जरिए शरीर में कई तरह के केमिकल्स और थर्मल इर्रिटेशन प्रवेश कर सकते हैं। चलिए आज नो स्मोकिंग डे पर हम आपको स्मोक एक्सपोजर के लक्षण, कारण और बचाव बताते हैं...
स्मोक एक्सपोजर के लक्षण
. आंखों में जलन व दर्द होना
. आंखों को आसपास सूजन की समस्या
. सिगरेट के धुएं के कारण आंखों से बार-बार आंसू आने की परेशानी
. नाक बहने व खांसी की समस्या
लगातार 1 सप्ताह तक ये लक्षण महसूस होने पर बिना देरी किए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। एक्सपर्ट अनुसार, अधिक समय तक धुएं के संपर्क में आने से फेफड़े व दिल संबंधी समस्या हो सकती है।
स्मोक एक्सपोजर के कारण
ज्यादा देर तक धुएं के संपर्क में आने से शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। इसकी वजह से व्यक्ति को केमिकल या अन्य थर्मल इर्रिटेशन जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। चलिए जानते हैं स्मोक एक्सपोजर के कारण...
परेशान करने वाली चीजें
बता दें, जलने वाली चीजों से अमोनिया, हाइड्रोजन क्लोराइड, सल्फर डाइऑक्साइड, क्लोरीन आदि केमिकल निकलते हैं। ये स्किन और शरीर को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं। इसकी वजह से श्लेष्मा झिल्ली को नुकसान पहुंचता सकता है। इसके अलावा इनसे सांस लेने वाली नली को भी हानि पहुंच सकती है। इसकी वजह से श्वसन नली में सूजन और एयरवे कोलेप्स होने का खतरा रहता है। ऐसे में मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
धुएं के कारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी
सिगरेट के धुएं के कारण शरीर को ऑक्सीजन मिलने में दिक्कत आने लगती है। ऐसे में सांस लेने में मुश्किल होने से व्यक्ति की मृत्यु होने का खतरा रहता है। धुएं शरीर को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाने का काम करता है। धुएं में कार्बन डाई ऑक्साइड जैसे केमिकल्स होते हैं जो सांस लेने में मुश्किल पैदा करते हैं।
केमिकल
सिरगेट की आग से हाइड्रोजन साइनाइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड जैसे रसायनों का उत्पादन होना शुरु हो जाता है। इसके कारण शरीर की सभी कोशिकाओं पर बुरा असर पड़ता है। इन जहरीली गैसों के कारण व्यक्ति की जान जाने का खतरा भी रहता है।
स्मोक एक्सपोजर का इलाज
डॉक्टर स्मोक एक्सपोजर की स्थिति जानने के लिए निम्न टेस्ट करवाते हैं। इन टेस्ट से सेहत की स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
. केमिस्ट्री
. ब्लड काउंट (सीबीसी)
. पल्स ओक्सिमेट्री
. आर्टेरिअल ब्लड गैस
. कार्बोक्सीहेमोग्लोबिन
. मेथेमोग्लोबिन लेवल का टेस्ट
स्मोक एक्सपोजर का इलाज
स्मोक एक्सपोजर की स्थिति में शरीर में ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में डॉक्टर ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए ऐसे उपचार करते हैं...
हाइपरबेरिक ओक्सिजनेशन (HBO)
स्मोक एक्सपोजर की स्थिति में मरीज के शरीर में कार्बन मोनोऑक्साइड का जहर फैलना शुरु हो जाता है। इस पोइजनिंग को कम करने के लिए डॉक्टर हाइपरबेरिक ऑक्सिजनेशन (HBO) का सहारा लेते हैं।
ऑक्सीजन से उपचार
स्मोक एक्सपोजर की स्थिति में मरीज को नोज ट्यूब या फिर ब्रीथिंग ट्यूब के जरिए ऑक्सीजन दिया जाता है। मगर गंभीर स्थिति होने पर ही डॉक्टर इस उपचार का सहारा लेते हैं।
स्मोक एक्सपोजर से बचने के अन्य उपाय
. आप घर के हर कमरे में स्मोक डिटेक्टर लगा सकते हैं। इससे आपको स्मोक का पता चल पाएगा। ऐसे में आप अच्छे से खुद की सुरक्षा का ध्यान रख सकते हैं।
. कहीं आग लगने पर तुंरत उस स्थान से निकलने की कोशिश करें।
. स्मोक एक्सपोजर का शिकार हुए लोगों को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए।
. इमरजेंसी दौरान अग्निशमन विभाग और स्थानीय जहर नियंत्रण केंद्र से संपर्क करें।
. धूम्रपान करने वालों से हमेशा दूर रहे।
. लोगों को धूम्रपान के नुकसान बताएं और इसे छोड़ने के लिए कहें।
. इसक अलावा आप ब्रीथिंग एक्सरसाइज करके फेफड़ों की समस्याओं से बच सकते हैं।
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