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जानिए किस तरह 86 साल की बुजुर्ग ने Covid को अपने हिम्मत और हौसले से दी मात

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 26 Dec, 2020 04:28 PM
जानिए किस तरह 86 साल की बुजुर्ग ने Covid को अपने हिम्मत और हौसले से दी मात

पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया ने उनकी इस प्रेरक कहानी को अपने 'हिम्मत है तो जीत है' अभियान में शामिल किया। 

पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया का 'हिम्मत है तो जीत है' अभियान संजोता है हौसले के जज़्बे से भरी कहानियां। इन कहानियों के पात्र हैं वह लोग जिन्होंने कोविड-19 से डट कर मुक़ाबला किया और उसे पराजित भी किया। इस बार वो लाये हैं कहानी मुंबई निवासी, छियासी वर्षीया रेजिना परमार की जिन्होंने कोविड को अपने हिम्मत और हौसले से हराया। उनके लिए यह संघर्ष आसान नहीं था क्योंकि कोविड वरिष्ठ नागरिकों के लिए और भी अधिक घातक होता है।

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रेजिना के बेटे ने जब देखा की उनकी मां का ऑक्सीजन स्तर गिर कर 93 तक पहुंच गया है तो उनकी परेशानी बढ़ गयी और वे उन्हें अस्पताल ले जाने की तैयारी करने लगे। चिंता सिर्फ कोविड की ही नहीं थी बल्कि सहरुग्णता यानि comorbidity की भी थी। सभी भयभीत थे और रेजिना भी नहीं चाहती थी की उन्हें अस्पताल ले जाया जाये। वे कहती हैं, "मैं अपने बेटे से कहती रही की मुझे घर पर ही रहना है पर वो मुझे सांत्वना देता रहा की सही उपचार से मैं बेहतर हो जाऊंगी। सही समय पर देखभाल, बच्चों के प्यार और मेरे अटूट विश्वास ने मुझे इस मुश्किल से निकाला और आज मैं बिलकुल ठीक हूं। आज सचमुच मुझे इस बात पर यकीन होता है की हिम्मत है तो जीत है।"

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पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया ने 'हिम्मत है तो जीत है' अभियान की शुरुआत एक जोशीले गीत के साथ इस साल सितम्बर में की। इसके पीछे सोच ये थी कि कुछ ऐसी कहानियों को जुटाया जाये जो लोगों की हिम्मत इस मुश्किल दौर में बढ़ाएं। इस अभियान को रूपरेखा दी जाने-माने फिल्म और रंगमंच के निर्देशक फ़िरोज़ अब्बास खान ने। वे पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के रचनात्मक सलाहकार ही नहीं बल्कि जानकारी और मनोरंजन से भरे कामयाब शो 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' के निर्देशक भी हैं।

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