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अधिकमास 2020: श्राद्ध और नवरात्रों में आए अंतर, क्या करें और क्या ना करें?

  • Edited By neetu,
  • Updated: 18 Sep, 2020 11:31 AM
अधिकमास 2020: श्राद्ध और नवरात्रों में आए अंतर, क्या करें और क्या ना करें?

अधिकमास का समय आज से शुरू हो गया है। यह महीना 32 महीने, 16 दिन और 4 घटों के बाद आता है। इसे अधिकमास के साथ मलमास, मलिम्लुच मास और पुरुषोत्तममास आदि नामों से भी जाता है। धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार, कुल 12 महीनों में वरुण, सूर्य, हिरण्यरेता, दिवाकर, भानु, तपन, चण्ड, रवि, गभस्ति, अर्यमा, मित्र और विष्णु 12 मित्र कहलाते है। मगर इनमें से अधिकमास सबसे अलग जाना जाता है। इस साल अधिक मास आने की बात करें तो इस बार यह महीना आश्विस मास की 18 तिथि को शुरू हो 16 अक्तूबर तक चलेगा। इन दिनों में बहुत से ऐसे कार्य होते हैं जिन्हें नहीं करना चाहिए। ऐसे में इस महीने के कुछ लोग अशुभ भी समझते हैं। मगर इस मास को भगवान का अतिप्रिय माना जाने के चलते इस दौरान बहुत से कार्य ऐसे भी है जिन्हें करना बेहद शुभ माना जाता है। तो चलिए जानते हैं इस महीने के बारे में विस्तार से...

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तो चल्रिए पहले जानतें है खरमास का अर्थ...

खर का मतलब खराब और मास का मतलब महीना होने से इसे खराब महीना कहा जाता है। ऐसे में इस महीने में कोई भी शुभ काम को करने में मनाही होती है। पहले लोग इस महीने को बेहद ही अशुभ मानते थे। मगर बाद भी श्रीविष्णु जी ने इस मास को अपने नाम यानि पुरुषोत्तम से नवाजा। ऐसे में इस मास को श्रीहरि का अतिप्रिय माने जाने से पुरुषोत्तम मास कहा जाने लगा। 

इन कामों को करने की मनाही

इस पूरे महीने में विवाह करने की सख्त मनाही होती है। माना जाता है कि इस महीने विवाह करने से वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं होता है। ऐसे में रिश्ता ज्यादा देर तक नहीं टिकता है। 

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न करें नया कारोबार शुरू

जैसे कि पहले की कहा गया है कि इस दौरान शुभ कामों को करने से बचना चाहिए। ऐसे में कोई भी नया काम व व्यापार मलमास से पहले या बाद में ही शुरू करना चाहिए। नहीं तो व्यापार बेहतर तरीके से नहीं चलता है। साथ ही पैसों से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा किसी भी जगह में निवेश करने से भी बचना चाहिए। 

इन कामों की भी मनाही 

इस दौरान कोई भी मांगलिक कामों को करना शुभ नहीं माना जाता है। विवाह के साथ मुंडन, नया घर खरीदना व गृह प्रवेश, पैसों का निवेश, लेन- देन, कोई नई चीज खरीदना आदि की मनाही होती है। माना जाता है कि इस समय इनमें से कोई काम को करने से भविष्य में हानि होने का सामना करना पड़ सकता है। 

इन चीजों को करना करें

मलमास का श्रीहरि का प्रिय होने से इस समय सारा ध्यान उनकी भक्ति में लगाना चाहिए। साथ ही व्रत, दान, यज्ञ, पूजा- पाठ में ही ज्यादा से ज्यादा समय बीताना चाहिए। मान्यता है कि इस समय किया गया पूजा-पाठ से श्रीहरि की अति कृपा मिलती है। साथ ही विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र और भागवत कथा श्रवण को करना बेहद शुभकारी होता है। इसके अलावा पुरुषोत्तम मास में तीर्थ स्थलों में जाकर पूजा व स्नान करने का विशेष महत्व होता है।

 

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