दुनियाभर में अलग-अलग चीजें देखने को मिलती है। कुछ चीजें बेहद ही आकर्षित व अनोखी होने से अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाब होती है। ऐसे में ही वर्ल्ड में 7 सबसे खूबसूरत व अनोखी चीजों को 7 अजूबों में शामिल किया गया है। इनमें से ही एक चीज भारत के पड़ौसी देश चीन में "द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना" नाम से मशहूर है। माना जाता है कि हर दीवार दुनिया में सबसे लंबी है। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...
चीन की सुरक्षा के लिए बनाई थी दीवार
कहा जाता है कि चीनी शासकों ने चीन को बाहरी हमलों से बचाने के लिए इस दीवार का निर्माण करवाया था। बात इसके इतिहास की करें तो "द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना" करीब 2300 साल पुरानी है। इस दीवार को बनवाने की कल्पना चीन के पहले शासक किन शी हुआंग ने की थी। मगर फिर भी सैकड़ों साल बाद इसका निर्माण काम शुरू हुआ। माना जाता है कि इसका निर्माण एक राजा ने नहीं बल्कि अलग-अलग शासक ने करवाया था। ऐसे में इसका निर्माणकाल 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से शुरु होकर 16 वीं शताब्दी तक खत्म हुआ था।इसकी लंबाई करीब 6400 कि.मी. है। साथ ही इसे बनाने में 20 लाख से अधिक मजदूर लगे थे। साथ ही इसे बनाने में कई लाख मजदूरों ने अपनी जान खो दी थी। ऐसे में इसे दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान भी कहा जाता है।
1970 में आम जनता को जाने की मिली मंजूरी
पहले यहां पर कोई नहीं जाता था। मगर सन 1970 में इसे आम जनता व यात्रियों के घूमने के लिए खोला गया। इस खूबसूरत व अनोखी दीवार को देखने के लिए हर साल 1 करोड़ की गिनती में यात्री आते हैं।
'वान ली चैंग चेंग' के नाम से मशहूर
इस दीवार को 'वान ली चैंग चेंग' भी कहा जाता है। लोगों का मानना हैं कि यह दीवार इतनी बड़ी है कि अंतरिक्ष से भी दिखाई देती है। बात चीन की इस दीवार की चौड़ाई की करें तो यहां पर एक साथ पांच घोड़े या फिर 10 सैनिक एक साथ चल सकते हैं।
1887 में विश्व धरहोर में हुई शामिल
इस शानदार व दुनिया की सबसे बड़ी दीवार को यूनेस्को ने 1887 में विश्व धरहोर में शामिल किया। "द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना" को बनाने में पत्थर, ईंट, लकड़ी और धातुओं का इस्तेमाल किया गया था। साथ ही कहा जाता है कि इस दीवार के पत्थरों को जोड़ने के लिए चावल के आटे का इस्तेमाल किया गया था। साथ ही इस दीवार का निर्माण एक साथ ना होकर बल्कि छोटे- छोटे हिस्सों में हुआ था।
चंगेज खान ने तोड़ दी थी दीवार
वैसे तो इस दीवार को चीन की सुरक्षा के लिए तैयार किया गया था। मगर यह संभव नहीं हो पाया था। असल में, सन 1211 में मंगोल शासक चंगेज खान ने इसे तोड़ कर चीन पर हमला बोला था।