
नारी डेस्क: बचपन में होने वाले कैंसर को लेकर समाज में कई गलत धारणाएं हैं। ये मिथक माता-पिता और परिवार के लिए भ्रम पैदा कर सकते हैं। आइए जानते हैं बच्चों के कैंसर से जुड़े तीन बड़े मिथकों के बारे में और विशेषज्ञ की राय क्या है।कैंसर से पीड़ित बच्चे हमेशा दुखी या डिप्रेस्ड रहते हैं लोग अक्सर सोचते हैं कि कैंसर का इलाज कर रहे बच्चे हमेशा उदास और निराश रहते हैं। बच्चे के रिएक्शन अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ बच्चे सकारात्मक और मजबूत बने रहते हैं, खासकर जब उन्हें डॉक्टरों, दोस्तों और परिवार का पूरा समर्थन मिलता है। उदासी महसूस होना सामान्य है, लेकिन यह हर बच्चे के लिए समान नहीं होता।
बच्चों से उनकी बीमारी को छिपाना चाहिए
कई लोग मानते हैं कि बच्चों से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को छुपाना चाहिए, क्योंकि वे इसे समझने के लिए बहुत छोटे हैं और इससे उनका मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है। विशेषज्ञ का कहना है कि उम्र के अनुसार सही तरीके से बच्चे से बात करना बेहद जरूरी है। पारदर्शिता से बच्चे को अनावश्यक तनाव कम होता है और परिवार के साथ विश्वास मजबूत होता है। बच्चे को सही जानकारी देने से वह स्थिति को समझ पाता है और भय या भ्रम नहीं पनपता।
कैंसर से उबर चुके बच्चों को अतिरिक्त सुविधाएं और अधिक प्यार चाहिए कुछ माता-पिता कैंसर से ठीक हुए बच्चों को जरूरत से ज्यादा पैम्पर करने लगते हैं या ओवरप्रोटेक्टिव हो जाते हैं। ज्यादा पैम्परिंग बच्चों के भावनात्मक और नैतिक विकास में बाधा डाल सकती है। इससे बच्चे में जिम्मेदारी से बचने और दूसरों पर निर्भर रहने की आदत बन सकती है। बच्चे की सामान्य ग्रोथ और आत्मनिर्भरता के लिए उन्हें संतुलित प्यार और सपोर्ट देना चाहिए।
कैंसर के इलाज के बाद बच्चों की भावनात्मक समस्याएं
समाज में यह भी धारणा है कि कैंसर का इलाज खत्म होने के बाद बच्चे पूरी तरह ठीक हो जाते हैं और उन्हें कोई मानसिक या भावनात्मक समस्या नहीं होती। इलाज के बाद भी बच्चे लंबे समय तक भावनात्मक चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। इनमें बीमारी के दोबारा होने का डर, शरीर को लेकर असहजता, सामान्य जीवन में लौटने में कठिनाई, स्कूल और दोस्तों के साथ तालमेल बैठाने में दिक्कत शामिल हो सकती है। कुछ बच्चे यह भी सोचकर गिल्ट महसूस कर सकते हैं कि वे ठीक हो गए, जबकि उनके साथी अभी भी इलाज से गुजर रहे हैं। इलाज खत्म होने के बाद भी बच्चों को लगातार मनोवैज्ञानिक और सामाजिक सपोर्ट देना बेहद जरूरी है। माता-पिता का समझदारी से मार्गदर्शन और प्यार बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए अहम है।
बचपन के कैंसर को लेकर फैली ये तीन प्रमुख गलतफहमियां
बच्चे हमेशा उदास रहते हैं। बीमारी को छिपाना चाहिए। इलाज के बाद अधिक सुविधाएं देनी चाहिए। इन पर भरोसा करना सही नहीं है। बच्चे की उम्र और मानसिक स्थिति के अनुसार सही जानकारी और संतुलित सपोर्ट देना ही उनकी अच्छी ग्रोथ और भावनात्मक मजबूती के लिए जरूरी है।