छठ महापर्व का आज दूसरा दिन है। इस दिन खरना मनाया जाता है और छठी मैया को गुड़ की खीर का भोग लगाया जाता है। इस प्रसाद को बिल्कुल साफ- सुथरे तरीके से तैयार किया जाता है, क्योंकि इस पर्व में शुद्धता का खास महत्व होता है। आइए आपको बताते हैं खराना क्या होता है और इस दिन गुड़ की खीर का क्या महत्व है....
खरना क्या होता है?
4 दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत 17 नवंबर को नहाय खाय से होती है। वहीं आज पर्व का दूसरा दिन खरना है, जिसका मतलब है शुद्धिकरण। शाम के समय छठी मैया को गुड़ की खीर का भोग लगाया जाता है। छठी मैया के इस खास प्रसाद को खीर मिट्टी के चूल्हे और जलावन के रूप में आम की लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है। प्रसाद तैयार होने के बाद सबसे पहले व्रती महिलाएं इसे ग्रहण करती हैं, उसके बाद इसे बांटा जाता है। फिर परिवार के अन्य सदस्य भी इसे ग्रहण करते हैं।
खरना के दिन रखें इन खास बातों का ध्यान
-खरना पर साफ-सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है।
-छठ पर्व के दौरान पूरे 4 दिनों तक प्याज लहसुन से परहेज करना चाहिए।
-व्रती महिलाओं को 4 दिन तक पलंग पर नहीं सोना चाहिए।
- खरना पूजा का प्रसाद साफ- सथुरी जगह पर बनाएं, जहां रोज खाना न बनता हो।
-खरना का प्रसाद सबसे पहले छठी मैया को अर्पित करें।
-व्रती को सूर्य को अर्घ्य दिए बिना कुछ नहीं खाना चाहिए।
खरना में गुड़ की खीर का महत्व
खरना में गु़ड़ की खीर का अलग महत्व है। खरना में गुड़ और चावल की खीर बनाकर भोग लगाया जाता है। लोग इसे रसिया भी कहते हैं। इस प्रसाद को बनाने में मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। प्रसाद बनाने के बाद भगवान सूर्य की पूजा की जाती है और सबसे पहले प्रसाद उन्हें अर्पित किया जाता है। इसके बाद व्रती महिलाएं इसे ग्रहण करती हैं। इसके बाद महिलाएं इसे प्रसाद के तौर लोगों में बांटती हैं। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रखना होता है। वहीं अतिंम दिन यानी 20 नंवबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है। इसके बाद व्रती अन्न- जल ग्रहण कर सकता है।