अमेरिका में इस बार राष्ट्रपति चुनाव बेहद दिलचस्प रहे, मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जो बाइडेन ने कड़ी टक्कर देकर हरा दिया है। वहीं, पहली बार अमेरिका को एक महिला उपराष्ट्रपति मिली हैं, जिनका नाम है कमला हैरिस। कमला हैरिस एक दमदार शख्सियत हैं। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई मिसालें कायम की। वह सेन फ्रांसिस्को की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी बनने वाली पहली महिला, पहली भारतीय मूल और पहली अफ्रीकी अमेरिकी हैं। वहीं ओबामा कार्यकाल में वह ‘फीमेल ओबामा’ के नाम से मशहूर थीं। चलिए उनके अब तक के सफर की कुछ दिलचस्प बातें आपके साथ शेयर करते हैं...
तमिलनाडू में बेटी की जीत का जश्न
उप-राष्ट्रपति पद पर जीत हासिल करने वाली भारतीय मूल की कमला हैरिस के परिवार में जश्न का माहौल है। उनका पैतृक गांव तमिलनाडु के थुलेसेंद्रपुरम में है जहां लोग जश्न मना रहे और मिठाइयां बांट रहे हैं। पैतृक गांव में महिलाएं रंगोली बनाकर, कमला हैरिस को जीत की बधाई दे रही हैं।
भारतीय मां और जमैकाई पिता की बेटी हैं कमला हैरिस
कमला हैरिस, भारतीय मां और जमैकाई पिता की बेटी हैं और वह अमेरिकी उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचने वाली भारतीय मूल की पहली अमेरिकी हैं। साल 1964 में ऑकलैंड में मां श्यामला गोपालन हैरिस और जमैकाई पिता, डोनाल्ड हैरिस के घर, उनका जन्म हुआ। उनके पिता स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में इकनॉमिक्स के प्रोफेसर थे और मां, स्तन कैंसर वैज्ञानिक रही हैं हालांकि मां ने तलाक के बाद दो बेटियों को अकेले ही पाला। वह भारतीय विरासत के साथ ही पली बढ़ीं हैं और मां के साथ भारत आती रहीं।
मां-पिता की तरह कमला हैरिस भी काफी पढ़ी-लिखी
माता-पिता की तरह कमला भी काफी पढ़ी लिखी हैं उन्होंने 1998 में ब्राउन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की। उसके बाद उन्होंने सैन फ्रांसिस्को डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी ऑफिस ज्वाइन कर लिया, जहां उन्हें करियर क्रिमिनल यूनिट की इंचार्ज बनाया गया।
कमला हैरिस की जिंदगी में मां का गहरा प्रभाव
1960 में भारत के तमिलनाडु से यूसी बर्कले आई कमला हैरिस की मां श्यामला गोपालन का अमेरिका तक का सफर इतिहास बन गया है। वहीं उनके पिता डोनाल्ड जे हैरिस 1961 में ब्रिटिश जमैका से इकोनॉमिक्स में स्नातक की पढ़ाई करने यूसी बर्कले आए थे जहां दोनों की पढ़ाई के दौरान मुलाकात हुई और मानव अधिकार आन्दोलनों में हिस्सा लेने के दौरान दोनों ने शादी का फैसला ले लिया। कमला हैरिस जब 7 बरस की थीं तभी उनके माता-पिता एक दूसरे से अलग हो गए। कमला और उनकी छोटी बहन माया अपनी मां के साथ रहीं। दोनों बेटियों के जीवन पर मां का बहुत प्रभाव रहा है। मां ने अपनी दोनों बेटियों को अपनी पृष्ठभूमि से जोड़े रखा और उन्हें अपनी साझा विरासत पर गर्व करना सिखाया। वह भारतीय संस्कृति से गहरे से जुड़ी रहीं।
साथी वकील डगलस एम्पहॉफ से शादी
2014 में उन्होंने अपने साथी वकील डगलस एम्पहॉफ से शादी की जिसके चलते वह भारतीय, अफ्रीकी और अमेरिकी परंपरा के साथ-साथ यहूदी परंपरा के साथ भी जुड़ गईं।
पहली बार उपराष्ट्रपति पद पर महिला, पति रचेंगे अनूठा कीर्तिमान
अमेरिकी उप राष्ट्रपति बनने वाली पहली अश्वेत अमेरिकी महिला हैरिस के पति डगलस एम्पहॉफ (Doug Emhoff) भी एक अनूठा कीर्तिमान रचेंगे। क्योंकि अमेरिका में पहली बार 'सेकंड जेंटलमैन' वो शख्स होंगे जो सरकार के किसी पद पर नहीं होगा। राष्ट्रपति की पत्नी प्रथम महिला और उप राष्ट्रपति की पत्नी देश की दूसरी महिला कहलाती रही है लेकिन पहली बार उपराष्ट्रपति पद पर महिला काबिज़ होगी। जब जनवरी में हैरिस पद की शपथ लेंगी तो एम्पहॉफ अमेरिका के दूसरे पुरुष नागरिक कहलाएंगे।
अमेरिका के पहले यहूदी जो बनेंगे सेकंड जेंटलमैन
डगलस एम्पहॉफ, यहूदी माता पिता की संतान हैं इसलिए वह पहले अमेरिकी यहूदी रहेंगे जो सेकंड जेंटलमैन होंगे।
उप-राष्ट्रपति बनने का सफर रहा बेहद दिलचस्प
साल 2003 में हैरिस को सैन फ्रांसिस्को के काउंटी की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी के तौर पर चुना गया था। इसके बाद 2010 में वह कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल बनीं। अटॉर्नी बनने वाली पहली महिला व पहली अश्वेत थीं। साल 2017 में हैरिस ने कैलिफोर्निया से संयुक्त राज्य सीनेटर के रूप में शपथ ली थीं। वो ऐसा करने वाली दूसरी अश्वेत महिला थीं। उन्होंने होमलैंड सिक्योरिटी एंड गवर्नमेंट अफेयर्स कमेटी, इंटेलिजेंस पर सेलेक्ट कमेटी, ज्यूडिशियरी कमेटी और बजट कमेटी में भी काम किया।
धीरे-धीरे लोगों में हैरिस की एक अलग पहचान बनती गई। खासकर उनके भाषणों को 'ब्लैक लाइव्स मैटर' अभियान के दौरान काफी समर्थन मिला। हैरिस ने 21 जनवरी, 2019 को 2020 के राष्ट्रपति चुनावों के लिए अपनी खुद की उम्मीदवारी का ऐलान किया था हालांकि, उन्होंने 3 दिसंबर को इस दौड़ से अपना नाम वापस ले लिया और तब से वह बाइडेन की मुखर समर्थक रहीं। कमला हैरिस पर भारत-अमेरिका दोनों देशों के लोगों को गर्व है।