पति पत्नी का रिश्ता बेहद खास होता है। जन्मों जन्मों तक साथ रहने की कस्में खाने वाले अपनी सारी जिंदगी एक दूसरे के सुख और दुख पर लूटा देते हैं। पति और पत्नी तो वो दीवार की तरह होते हैं जिनके बिना घर नहीं बन सकता है लेकिन एक महिला की जिंदगी में सबसे बड़ा दुख तब आता है जब उसका पति इस दुनिया को अलविदा कह जाता है। तब जिंदगी और कठिन हो जाती है लेकिन जीत उसी की होती है जो इसे भी एक चुनौती के रूप में ले लेते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ जम्मू की रहने वाली राधा चाडक के साथ।
एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर बनी राधा
जम्मू की राधा हाल ही में एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर बनी हैं लेकिन यह सफर राधा के लिए आसान नहीं था। राधा बचपन से ही हर एक चीज में आगे थी। उन्होंने 12वीं करने के बाद उन्होंने जम्मू यूनिवर्सिटी में लॉ के लिए दाखिला लिया। इसके बाद राधा का विवाह गांव में एयरफोर्स में नॉन कमीशंड ऑफिसर CPL बूटा सिंह मन्हास के साथ हो गया।
जम्मू हाईकोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस करने लगीं
शादी के बाद दूसरी महिलाओं की तरह राधा की जिंदगी भी अच्छी चल रही थी। वह घर संभालने के साथ और अपने बेटे को संभालने के साथ जम्मू हाईकोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस करने लगीं। उनकी जिंदगी खुशहाली से गुजर रही थी लेकिन आगे आने वाले समय के से राधा भी अनजान थीं।
पति का हो गया निधन
पति और बेटे के साथ खुशहाल जिंदगी जी रही राधा को शायद नहीं पता था कि आगे वाली जिंदगी उनका पति ही छीन लेगी। दरअसल 2018 में राधा के पति बूटा सिंह की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इसके बाद राधा की जिंदगी में सिर्फ दुख ही दुख ही थे। पति की मौत के बाद राधा पर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
सब इंस्पेक्टर पोस्ट के लिए टेस्ट देने गईं लेकिन...
वहीं 21 जून को पति की मौत के बाद 24 जून को राधा को सब इंस्पेक्टर पोस्ट के लिए टेस्ट देने जाना था लेकिन वह टेस्ट देने तो गईं लेकिन बिना पेपर दिए वापिस आ गई।
इरादों को किया मजबूत
पति की मौत के बाद अंदर से पूरी तरह खत्म हो चुकी राधा ने सोचा कि वह इस तरह हिम्मत नहीं हार सकती हैं। उन्होंने खुद को समझाया और अपने इरादों को और मजबूत किया।
एयरफोर्स में जाने की ठानी
इसके बाद राधा ने अपने मन में ठान लिया कि जिस ब्लू यूनिफॉर्म को उसके पति छोड़ गए हैं, अब वही उन्होंने पहननी है। राधा ने एयरफोर्स में जाने का मन बनाया। राधा ने लॉ की हुई थी ऐसे में जज एडवोकेट जनरल के टेस्ट देने के लिए जब वह स्टेशन गई तो पता चला के इसके लिए एलिजिबल नहीं हूं।
स्क्रीनिंग में बाहर हो गईं राधा
एलिजिबल न होने के बाद भी राधा की हिम्मत नहीं टूटी। बल्कि उन्होंने खुद को और मजबूत किया और उन्हें पता लगा कि एयरफोर्स कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के लिए अप्लाई कर सकती हैं। इसके लिए वह 2 सितंबर को कोचिंग के लिए वे दिल्ली चली गईं। लेकिन राधा के लिए यह पहला मौका था इसलिए वह स्क्रीनिंग में ही बाहर हो गईं।
2018 में फिर टेस्ट दिया
असफलता के बावजूद भी राधा का हौसला नहीं रूका और उन्होंने फिर से टेस्ट दिया और उन्हें सफलता मिली। इसके बाद राधा दिन में कोर्ट में प्रैक्टिस, दोपहर में बच्चों को पढ़ाती और सुबह और शाम ग्राउंड में फिजिकल टेस्ट की तैयारी करती।
आखिर मिली सफलता
आखिर वो पल आ गया था जब राधा को उनकी मेहनत का फल मिलता। कढ़ी मेहनत के बाद वह साल 2019 में वह एसएसबी में सिलेक्ट हो गईं और 2020 में ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद एयरफोर्स एकेडमी पहुंच गईं। 18 दिसंबर को उनकी ट्रेनिंग पूरी हुई है। इसके बाद अब वह फ्लाइंग अफ़सर बनी हैं। उनकी पहली पोस्टिंग चंडीगढ़ में हुई है।
पिता ने दिया पूरा साथ
अपने इस कठिन सफर के बारे में बात करते हुए राधा ने कहा कि यह तक पहुंचना आसान नहीं था लेकिन इस कठिन सफर में भी उनके पिता ने उनका पूरा साथ दिया। न सिर्फ उन्होंने मुझे संभाला बल्कि मेरे बेटे का भी ध्यान रखा।
बेटी पर है मान
आपको बता दें कि राधा के पिता सूबेदार मेजर TS चाडक अपनी बेटी के इस कदम पर काफी खुश हैं और उन्हें अपनी बेटी नाज है।
हम भी राधा की इस हिम्मत को सलाम करते हैं। सच में आज राधा बाकी सभी महिलाओं के लिए एक मिसाल है जो पति की मौत के बाद अपनी जिंदगी को आगे नहीं बढ़ाती हैं।