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घाटे पर जा रहा है Jaipuri Razai का बिजनेस! व्यापारी दे रहे हैं ग्राहकों को धोखा

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 15 Oct, 2023 10:53 AM
घाटे पर जा रहा है Jaipuri Razai का बिजनेस! व्यापारी दे रहे हैं ग्राहकों को धोखा

पूरी दुनिया भर में फेमस प्रसिद्ध जयपुरी रजाई आजकल उद्योग संकट से गुजर रही है। एक समय था जब कॉटन से बनी ये जयपुरी रजाई के देश- विदेश में कई खरीददार थे।  लोग दूर- दूर से आते हैं इसे खरीदने। यहां तक कि देश की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और पूर्व vice-president भैरों सिंह शेखावत भी इस जयपुरी रजाईयों के दीवाने थे।

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लेकिन आजकल बाजार में फाइबर का इस्तेमाल ज्यादा हो रहा है क्योंकि वो सस्ते होते हैं और इसके चलते कॉटन की बिक्री कम हो गई है। इसने रजाई बनाने वाले कारीगरों की आजीविका प्रभावित हो रही है। वहीं एक समय पर एक फलता- फूलता व्यवसाय हुआ करता था। जयपुर का ये रजाई का उद्योग 250 साल पुराना है। एक दशक पहले तक लगभग 20,000- 25,000 कारीगर वाले परिवार रजाई वाले इस धंधे में शामिल थे। लेकिन अब इस धंधे में मुनाफा न देखते हुए 10,000 से भी कम परिवार इस व्यापार को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। बता दें जयपुरी रजाई वैसे बहुत ही कोमल और हल्की होती है। इनकी खासियत ये होती है कि इनका वजन 100- 500 ग्राम होता है और ये पूरी तरह से हाथ से बनाई होती है। कड़ाके की सर्दी के दौरान ये 100 ग्राम की जयपुरी रजाई भी ठंड से बचाने के लिए काफी है। जयपुरी रजाई व्यापार एसोसिएशन समिति के अध्यक्ष हरिओम लश्करी का कहना है कि रजाई उद्योग खत्म हो की कगार पर खड़ा है।

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उनका कहना है कि कुछ लोग ज्यादे मुनाफे के चक्कर में ग्राहकों को फाइबर भरी रजाइयां देकर उन्हें जयपुर रजाई बताकर लुट रहे हैं। वो कहते हैं, ' आज के समय रजाई का कोरबार लगभग 50 करोड़ रुपये का है, जो डेढ़ दशक पहले 100 करोड़ रुपये से ज्यादा था।'   कादरबख्श ग्रुप के अतीक अहमद, जिनका परिवार लगभग 250 साल से जयपुरी रजाई के व्यवसाय में हैं, ने कहा कि उनके पूर्वज आमेर और बाद में जयपुर के राजाओं के लिए रजाई बनाते थे। उन्होंने कहा कि फाइबर रजाई उद्योग को बदनाम कर रही है।

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