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स्त्री बिन घर भूतों का डेरा

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 11 Feb, 2025 02:48 PM
स्त्री बिन घर भूतों का डेरा

नारी डेस्क: हमारे भारतीय समाज में स्त्री को हमेशा इसी बात से जांचा जाता है कि वो किस ओहदे पर नौकरी करती है? कितना कमाती है? मोटी है या पतली? लम्बी है या छोटी? बाल कैसे हैं? लोगों के साथ चटर पटर करने में कितनी तेज है? आदि आदि..

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पर हर किसी ने उसके यह गुण देखे और बाकि सब गुणों को नज़र अंदाज ही किया कि कोई स्त्री अपना घर कैसे सम्भालती है? उसने अपने बच्चों को कैसे संस्कार दिए हैं? या फिर वो बच्चों को बड़े होने में कैसे मदद करती है? पति के नाते रिश्तेदारों से कैसे रिश्ते निभाती है? घर के सभी लोगों का खान-पान और पति की कितनी अच्छी सलाहकार है वो? 

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पर यह सब बातें कभी जिक्र भी नहीं की जाती। क्या एक सुघड़ गृहणी होना कोई गुण नहीं होता? और अगर कोई स्त्री घर भी सम्भाले और बाहर भी अपना कोई रूतबा रखे और ऐसे में उससे कुछ भी कमी रह जाती है तो उसकी कमी पर सबकी नज़र पड़ती है।  

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बहुत सी जिम्मेदारियों को निभाना और फिर उनमें तालमेल बैठाना कोई आसान काम नहीं है इसलिए अगर उससे किसी कार्य को निपटाते हुए कोई त्रुटि रह भी जाती है तो उसके पारिवारिक सदस्यों द्वारा उसका सहारा बनना बहुत जरूरी है ताकि वो स्वस्थ रहकर अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभा सके वरना तो कद्र उन्ही को होती है जिनके घर में कोई नारी न हो । एक कहावत है कि जिस घर में स्त्री नहीं हो वहाँ बरकत नहीं रहती। 

लेखिका -चारू नागपाल
 
 

 

 

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