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विश्व के लिए खतरा बनी गर्मी, प्राकृतिक आपदाओं के लिए जिम्मेदार कौन?

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 04 Aug, 2021 02:17 PM
विश्व के लिए खतरा बनी गर्मी, प्राकृतिक आपदाओं के लिए जिम्मेदार कौन?

पहले कोरोना और अब एक के बाद एक आ रहीं प्राकृतिक आपदाएं... मानों प्राकृति मानव जाति से नाराज हो गई है। वहीं, हाल ही में तर्की में लगी कारण के कारण कई लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। तुर्की ने गर्मी के मौसम में कई आपदाओं का सामना किया है, जिसमें पिछले हफ्ते अचानक आई बाढ़ भी शामिल है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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तुर्की करीब 6 दिनों से जंगलों में लगी भीषण आग से जूझ रहा है, जो कम होने का नाम नहीं ले रही।  खबरों के अनुसार, 132 में से 125 पर काबू पा लिया है जबकि बाकी 7 से अभी भी लड़ रहे हैं। भयंकर आग के कारण मुगला में करीब 10,000 नागरिकों को घरों से निकाला गया। फिलहाल अधिकारी इस रहस्‍यमय तरीके से लगी आग का कारण जानने की कोशिश कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर जंगलों में लगी आग की कई खौफनाक वीडियो व फोटोज भी शेयर की जा रही हैं। खबरों के मुताबिक, साल 2021 में करीब 60 जगहों पर आग की घटनाएं हुई है।

बड़ा खतरा बनी गर्मी

दुनियाभर में गर्मी की तपन दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। बता दें कि साल 2021 में गर्मी के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं। अमेरीका, कनाडा,  कैलिफोर्निया, पोर्टलैंड व वाशिंगटन में गर्मी के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं। वहीं, लगातार बढ़ रही हीट वेव के कारण हजारों लोग अपनी जान गवां चुके हैं।

साइबेरिया के जंगलों में आग

साइबेरिया दुनिया के सबसे ठंडे इलाकों में से एक हैं, जहां जहां पारा माइनस में होता है। ऐसे में यहां जंगलों में लगी आग ने दुनियाभर को हैरान कर दिया। वहीं, ब्रिटेन और चीन में भयंकर बाढ़ कुदरत के साथ इंसानों के खिलवाड़ व विनाश की ओर बढ़ते संसार का सबसे बड़ा सबूत है।

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वैज्ञानिक कर चुके हैं आगाह

वैज्ञानिक सालों से जलवायु परिवर्तन पर चेतावनी देते आ रहे हैं कि साल 2070 तक धरती का तापमान इतना अधिक बढ़ जाएगा कि यहां रहना तकरीबन असंभव हो जाएगा। आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में तूफान, बाढ़, जंगलों में लगी आग और सूखे के कारण करीब 3 करोड़ लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा।

अंटार्कटिका में टूटा बर्फ का पहाड़

हाल ही में तौकते तूफान के बीच अंटार्कटिका से एक विशान बर्फ का पहाड़ टूटकर अलग हो गया था। यह दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड था, जिसका आकार करीब 170 कि.मी. लंबा व 25 कि.मी. चौड़ा है, जो दिल्ली व न्यूयॉर्क से भी 3 गुणा बड़ा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर ग्लेशियर इसी तेजी से पिघलते रहे तो सदी के अंत तक 1 तिहाई ग्लेशि‍यर खत्म हो जाएंगे।

भारत में भी कहर बरसा रही प्राकृति

भारत में पिछले दिनों भारी बारिश के कारण जहां महाराष्ट्र , केरल, हिमाचल प्रदेश को भयंकर बाढ़ का सामना करना पड़ा। वहीं, कई पहाड़ी इलाकों पर खौफनाक लैंडस्लाइड भी हुए। इसके अलावा भारत को साल 2021 में भयंकर चक्रवात का सामना भी करना पड़ा। वैज्ञानिक ऐसी घटनाओं के लिए बढ़ते तापमान को भी जिम्मेदार मान रहे हैं।

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लगातार गर्म हो रही पृथ्वी

पिछले 200 सालों का इतिहास देखें तो 6 साल में तापमान में सबसे ज्यादा बदलाव आया है। इससे हिमालय सहित दुनिया भर के ग्लेशि‍यरों पर संकट बढ़ गया है, जिससे त्रासदी की आशंका बढ़ती जा रही है।

अभी नहीं संभले तो हो जाएगी देर

दुनियाभर का हाल देख ऐसा लग रहा है मानो प्राकृति अपने कहर बरपा रही है। अगर मानव अभी भी नहीं संभला तो बढ़ती ग्लोबल वॉर्मिंग आने वाले समय में इससे भी भयंकर प्राकृतिक आपदाएं ला सकता है। जलवायु परिवर्तन को रोने के लिए एकजुट होगा। पर्यावरण में कार्बन उत्सर्जन कम करना, जो ग्लोबल वॉर्मिंग के लिए जिम्मेदार है।

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